महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को इन मंत्रों से करें प्रसन्न, घर में ऐसे करें पूजा-अर्चना
भगवान शिव शंकर को देवों के देव ‘महादेव’ कहा जाता है. ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव शकंर को सच्चे मन से जो भी पूजता है. उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है. शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि किसी महापर्व से कम नहीं होती. सुबह से ही मंदिरों में देर रात तक भक्तों का रेला लगा रहता है. भक्त इस दिन भगवान शिव को फल-फूल और दूध व जल चढ़ाते हैं. कई लोग इस खास मौके पर रूद्राभिषेक का भी आयोजन करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया रूद्राभिषेक काफी फलदाय होता है. वैसे तो शिवरात्रि (चतुर्दशी) हर माह आती है मगर फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि कुछ ज्यादा ही खास होती है. इस बार महाशिवरात्रि चार मार्च को मनाई जाएगी.
ऐसे करें पूजन
भोले की उपासना के लिए पूजन शुरू करने से पहले तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र. चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, पान लें. पूजन शुरू करने से पहले उपासक के संकल्प लेने का प्रावधान होता है. इसके लिए हाथ में जल, फूल और चावल लेकर देवता का आह्वान करते हुए अपने नाम और मनोकामना के साथ संकल्प लें. हाथों में लिए गए जल को पृथ्वी पर छोड़ दें. संकल्प लेने के बाद ‘ऊं साम्ब शिवाय नम:’ आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल अर्पित कर दें. इस आव्हान से आप भगवान को अपने घर में आमंत्रित कर रहे हैं. ‘ऊं साम्ब शिवाय नम: आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि’ मंत्र का जप करते हुए भगवान को आसन दें. इसका तात्पर्य है आपने प्रभु को घर पर बुलाने के बाद विराजमान होने के लिए आसन दिया है. इसके बाद भगवान के चरण धुलवाएं. इसके बाद पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं. अब वस्त्र अर्पित कर चंदन, अष्टगंध आदि सुगंधित द्रव्य लगाएं. इसके बाद ‘ऊं साम्ब शिवाय नम: बेलपत्र समर्पयामि’ का उच्चारण करते हुए भोले को 11 या 21 बिल्व पत्र अर्पित कर धूप और दीप दिखाएं और शिव आरती करें.
इन मंत्रों का करें जाप
भगवान शिवकर को मनान बहुत आसान होता है. भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों से कभी नाराज नहीं होते. इसलिए अगर आपसे कोई गलती हो गई है और आप भगनाव से माफी मांगकर भूल का पश्चाताप करना चाहते हैं, तो इन मंत्रों का जाप करें. ‘ओम नम: शिवाय’, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’. भगवान को अर्घ्य देते समय ‘गौरीवल्लभ देवेश, सर्पाय शशिशेखर, वर्षपापविशुद्धयर्थमध्र्यो मे गृह्यताम तत:’ मंत्र का जाप.करें
पूजा में ये वस्तुए जरूर करें शामिल
शिवलिंग पर पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक
चंदन से भगवान का श्रृंगार
बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय है, जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं.
भांग और धतुरा भोले बाबा को अति प्रिय है, इसलिए शिवरात्रि के दिन उन्हें ये अर्पित करना चाहिए.
दीपक और धूप से भगवान भोले नाथ की आरती करें