उत्तराखंड में इस वर्ष जून से मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी मिलने लगेगी
प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में इस वर्ष जून से मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी मिलने लगेगी। मुक्तेश्वर में स्थापित डॉप्लर रडार सेंटर जल्द ही सूचनाएं देने लगेगा, जिससे प्रदेश के मौसम विभाग को खासी सहूलियत मिलेगी। इससे पहले उत्तराखंड दिल्ली के डॉप्लर सिस्टम पर निर्भर था, जो यहां के पर्वतीय क्षेत्रों की सटीक जानकारी देने में अक्षम था।
दरअसल, देहरादून स्थित आइएमडी (भारतीय मौसम विभाग) ने प्रदेश के तीन स्थानों में डॉप्लर रडार स्थापित करने की योजना बनाई थी। जिसमें से पहला डॉप्लर रडार मुक्तेश्वर में स्थापित किया गया, जो जून 2019 के अंत तक काम करना शुरू कर देगा। यह रडार करीब 100 किलोमीटर की परिधि (रेडियस) में मौसम में पल-पल होने वाले व्यापक फेरबदल का सूक्ष्म अध्ययन कर पहले ही उसके व्यापक स्वरूप और प्रभाव क्षेत्र की जानकारी देगा। मौसम की सटीक जानकारी से पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में लाभकारी बदलाव आने की उम्मीद है। रडार से वर्षा की सघनता, आंधी, आद्र्रता, तापमान, बर्फबारी और मौसम में बदलाव का पूर्वानुमान किया जा सकेगा।
उत्तराखंड में डॉप्लर रडार की मांग लंबे समय से उठ रही थी। वर्ष 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के बाद इस मांग ने और जोर पकड़ा। इस बीच केंद्र सरकार ने भी मौसम की सटीक जानकारी के मकसद से देशभर में 55 डॉप्लर रडार स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके तहत उत्तराखंड के हिस्से में तीन डॉप्लर रडार आए हैं। इन रडार सेंटरों को स्थापित करने के लिए जमीन एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदेश सरकार उपलब्ध करवाएगी। केंद्र सरकार की मदद से मौसम विभाग इन्हें स्थापित करेगा।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि मुक्तेश्वर के अलावा गढ़वाल मंडल में दो अन्य डॉप्लर रडार सुरकंडा व पौड़ी में लगाए जाने की योजना है। मसूरी में डॉप्लर रडार के लिए चयनित आकाशवाणी की भूमि का मौसम विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण के बाद निर्णय लिया गया कि सुरकंडा में डॉप्लर सिस्टम लगाया जाएगा। तीनों डॉप्लर रडार अपने-अपने केंद्रों से 100 किलोमीटर की परिधि में मौसम की जानकारी दे सकेंगे।
डॉप्लर रडार ऐसे करता काम
डॉप्लर रडार के माध्यम से वातावरण में रेडियो तरंगे भेजी जाती हैं, जो पानी की बूंदों व धूल कणों से टकराकर वापस लौटती हैं और कंप्यूटर इन्हें अंकित कर चित्र बनाता है। इससे बादलों की सघनता, ऊंचाई और गति मापी जा सकती है। इसके आधार पर मौसम का त्वरित पूर्वानुमान लगाया जाता है।
दिल्ली पर निर्भरता होगी समाप्त
देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र को अभी तक उत्तराखंड के मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी के लिए दिल्ली स्थित रडार सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ रहा था। दून और दिल्ली के बीच करीब 150 किलोमीटर के एयर डिस्टेंस के कारण कई बार मौसम की सटीक जानकारी मिलने में दिक्कतें आती थीं। जबकि देश के लिए उत्तराखंड, हिमाचल एवं जम्मू-कश्मीर का मौसम बेहद संवेदनशील माना जाता है।