निचली अदालत को अंतिम रिपोर्ट निरस्त करने के पश्चात आरोपी मुलायम सिंह को तलब करना चाहिए
आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को धमकी देने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को क्लीन देने वाली अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर परिवाद की कार्यवाही के आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी याचिका को प्रभारी सत्र न्यायाधीश अविनाश सक्सेना ने प्रारंभिक सुनवाई खारिज कर दिया है।
अमिताभ ठाकुर ने सीजेएम आनन्द प्रकाश सिंह द्वारा पारित 20 फरवरी के आदेश को निगरानी याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। जिसमें अदालत ने केस डायरी के नौ अक्टूबर 2018 के तितम्मा पर्चा संख्या-72 को निरस्त कर मामले को परिवाद के रूप में दर्ज किए जाने का आदेश दिया था। निगरानीकर्ता का तर्क था कि निचली अदालत को अंतिम रिपोर्ट निरस्त करने के पश्चात आरोपी मुलायम सिंह को तलब करना चाहिए था।
निगरानी याचिका पर प्रथम सुनवाई के समय विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी एवं अपर जिला शासकीय अधिवक्ता एम.के. सिंह का तर्क था कि अपर न्यायालय द्वारा विधिक आदेश पारित किया गया है, क्योंकि पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगाने के बाद मजिस्ट्रेट अदालत उसे निरस्त कर सीधे अभियुक्त को तलब कर सकती है। परिवाद के रूप में दर्ज कर विचारण कर सकती है।
प्रकरण की अग्रिम विवेचना के आदेश अथवा अंतिम रिपोर्ट स्वीकृत भी कर सकती है। न्यायाधीश अविनाश सक्सेना ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद निचली अदालत के आदेश की पुष्टि करते हुए शीघ्र विचारण का आदेश दिया है। आरोप है कि मुलायम सिंह यादव द्वारा अमिताभ ठाकुर को फोन पर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। जबकि विवेचक का कहना था कि फोन पर उन्हें समझाया गया था।