PM मोदी की रैली के बाद महागठबंधन में सक्रियता बढ़ी, अब जल्‍द होगा सीटों का बंटवारा

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जहां राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बहुत पहले ही सीटों का बंटवारा हो चुका है, वहीं महागठबंधन में भ्रम की स्थिति बरकरार है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प रैली के बाद महागठबंधन में फिर इस मुद्दे पर गतिविधियां तेज हो गईं हैं। ठीक एक महीने पटना के पूर्व गांधी मैदान में अपनी रैली में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने साफ कर दिया था कि पार्टी राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) एवं अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।

10 दिनों में सीट बंटवारे को अंजाम देने की तैयारी
महागठबंधन के सभी दलों ने रविवार की एनडीए की रैली को एक सुर में फ्लॉप करार दिया। रैली के इंतजार में ही टिकट बंटवारे को लेकर शीर्ष नेताओं की होने वाली बातचीत रोक रखी गई थी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पहले एक मार्च को दिल्ली में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की उपस्थिति में बैठक होनी थी। मगर दो मार्च को रांची में राहुल गांधी की रैली और तीन मार्च को पटना में होने वाली एनडीए की रैली के मद्देनजर अब यह बैठक अगले सप्ताह आयोजित होने की संभावना है। 10 दिनों के अंदर आपसी सहमति से सीट बंटवारे को अंजाम देने की अब तैयारी है।

राहुल, तेजस्वी व कुशवाहा की मौजूदगी में होगी बैठक
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि महागठबंधन की यह बैठक राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और उपेंद्र कुशवाहा की मौजूदगी में होगी। बैठक में शरद यादव, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी भी शामिल होंगे।

सीटों के बंटवारे को ले दो महीने से है भ्रम की स्थिति
सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में पिछले दो माह से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने पहले 20 सीटों की मांग की और फिर अब वे पांच सीटों की मांग कर रहे हैं। वहीं, राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने के कारण ही एनडीए से अलग हुए हैं। इधर, कांग्रेस लगातार यह दावा कर रही है कि पार्टी पहले से मजबूत स्थिति में है। तीन फरवरी की जन आकांक्षा रैली का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि तीन दशक बाद पार्टी ने अपने बल पर सफल रैली आयोजित की।

पहले से तय फॉर्मूले पर ही होगा सीटों का बंटवारा
लेकिन महागठबंधन के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो घटक दलों की अलग-अलग दावेदारी बयानबाजी से अधिक कुछ नहीं है। पहले से तय फॉर्मूले में ही हलका फेरबदल कर सीटों का बंटवारा कर दिया जाएगा। जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद इस समय रांची में इलाज करा रहे हैं। घटक दलों के नेताओं से उनकी कई राउंड बातचीत हो चुकी है। जो फॉर्मूला तय हुआ था, उसके तहत प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से आधी पर राजद के प्रत्याशी लड़ेंगे, जबकि शेष 20 सीटों का बंटवारा अन्य घटक दलों के बीच होगा।

कांग्रेस को दस सीटें दी जा सकती हैं, हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में राजद ने उसे 12 सीटें दी थीं। तब महागठबंधन में रालोसपा, हम या मुकेश सहनी की विकासशील इनसान पार्टी शामिल नहीं थी। लालू प्रसाद से रांची में राहुल गांधी और कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को छोड़कर कई नेता मुलाकात कर चुके हैं। इनमें शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी प्रमुख हैं।

उम्मीदवारों को लेकर भी महागठबंधन में समस्या
महागठबंधन में समस्या उम्मीदवारों को लेकर भी है। चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को लेकर राजद के अंदर भी मंथन है, जबकि कांग्रेस की टिकट की उम्मीद रखने वालों में भाजपा से आए कीर्ति आजाद, भाजपा छोडऩे की घोषणा कर चुके पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह, पूर्व सांसद लवली आनंद प्रमुख हैं। इन्हें क्रमश: दरभंगा, पूर्णिया एवं शिवहर लोकसभा सीटों के लिए टिकट चाहिए। जन अधिकार पार्टी (जाप) के संरक्षक सांसद पप्पू यादव और मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह भी टिकट के लिए कांग्रेस की ओर नजरें गड़ाए हैं।

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