लोकसभा चुनाव को लेकर NDA उम्मीदवारों की घोषणा जल्‍द, 7 सीटों पर फंसा पेंच

पटना। राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में उम्मीदवारों की घोषणा में देर हो रही है। उसे ऐसे उम्मीदवारों की तलाश है, जिनकी जीत की गारंटी हो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित घटक दल के किसी नेता को उसके चुनाव प्रचार में असुविधा न हो। सीटों को लेकर विवाद लगभग खत्म हो चुका है। पिछले चुनाव में भाजपा की जीती हुई अधिकतम सात सीटों को लेकर मामूली दुविधा है। वह भी जल्द ही खत्म हो जाएगी। संभावना यह है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएं।

किन सीटों पर क्‍या है पेंच, जानिए

वाल्मीकिनगर, महाराजगंज, दरभंगा, पटना साहिब, झंझारपुर, पाटलिपुत्र और बेगूसराय-भाजपा कोटे की यही सीटें हैं, जो जदयू और लोजपा के लिए मुफीद मानी जा रही हैं। संयोग से इनमें से तीन-दरभंगा, पटना साहिब और बेगूसराय के भाजपा सांसद दल के साथ नहीं हैं। बेगूसराय के सांसद रहे भोला प्रसाद सिंह का निधन हो गया है, जबकि कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को भाजपा से अलग कर लिया है।

पूर्ववर्ती बगहा अब वाल्मीकिनगर है। उस पर 2014 तक जदयू का कब्जा था। महाराजगंज में जदयू कई बार जीता। दरभंगा में जदयू की ओर से संजय झा कई वर्षों से सक्रिय हैं। जदयू ने उन्हें पिछली बार उम्मीदवार भी बनाया था। झंझारपुर भी जदयू की पुरानी सीट है। इस पर 2014 में भाजपा की पहली बार जीत हुई थी।

राजधानी की दो में से किसी एक सीट पर जदयू अपनी मौजूदगी चाह रहा है। 2009 में पाटलिपुत्र से जदयू के डॉ. रंजन प्रसाद यादव की जीत हुई थी। पटना साहिब से भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा जीते थे। दोनों दलों के बीच जब दावे वाली सीटों की पक्की बातचीत होगी, उसमें 2014 के अलावा 2009 के लोकसभा चुनाव में मिले वोटों का भी हिसाब रखा जाएगा। दिक्कत यह है कि पटना साहिब भाजपा की परंपरागत सीट है। उधर पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं, जिन्हें सामाजिक समीकरण के चलते किसी दूसरी सीट पर भेजना संभव नहीं है।

इसके अलावा भाजपा अपने कोटे की कुछ सीटें उम्मीदवार सहित जदयू को दे दे। आरा और काराकाट में से कोई सीट जदयू को मिल सकती है। आरा भाजपा की सिटिंग सीट है। काराकाट पूर्ववर्ती विक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। दोनों सीटें जदयू की परंपरागत मानी जाती है।

बेगूसराय भाजपा की सीट है। 2009 में यहां जदयू की जीत हुई थी। संभावना यह है कि लोजपा को मुंगेर के एवज में यह सीट मिल जाए। वैसे, लोजपा बेगूसराय के बदले नवादा पर जोर दे रही है। नवादा के मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह केंद्र में राज्यमंत्री हैं और एलान कर चुके हैं कि नवादा छोड़ कहीं और से चुनाव नहीं लड़ेंगे।

भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुविधा के लिए अपने कुछ सांसदों से मुक्ति भी चाह रही है। ये ऐसे सांसद हैं, जिनके पक्ष में प्रचार करने से मुख्यमंत्री परहेज करें। इनकी संख्या दो हो सकती है।

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