हरियाणा भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्‍याशियों का पैनल तैयार कर लिया

सर्जिकल स्ट्राइक-दो के बाद देशभर में बने मोदीमय माहौल के बावजूद राज्य भाजपा लोकसभा चुनाव में किसी तरह का जोखिम लेने को तैयार नहीं है। पार्टी के रणनीतिकार पूरे दमखम के साथ राज्य की सभी दस लोकसभा सीट जीतने के लिए समय रहते ही चुनावी रणनीति को अंजाम दे रहे हैं।

दूसरे दलों की रणनीति देखते हुए ही घोषित होंंगे उम्मीदवारों के नाम

बेशक अभी चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीख तय नहीं की है, मगर भाजपा सरकार और संगठन ने मंगलवार देर रात तक नई दिल्ली के हरियाणा भवन में मैराथन बैठक की। इसमें लोकसभा चुनाव समिति के हरियाणा प्रभारी कलराज मिश्र, सहप्रभारी विश्वास सारंग, प्रदेश प्रभारी महासचिव डॉ. अनिल जैन, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, प्रदेश संगठन मंत्री सुरेश भट्ट सहित राज्य भाजपा के तीनों महामंत्री मौजूद रहे।

बैठक में भाजपा के इन रणनीतिकारों ने कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इनेलो प्रभाव के लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में उनके संभावित उम्मीदवारों के सामने भाजपा के संभावित उम्मीदवारों के तीन-तीन नाम के पैनल पर भी चर्चा की। ये पैनल इसलिए भी तैयार किए गए हैं कि दूसरे दलों के उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद भाजपा अपनी जीत को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी बदल भी ले।

जाति, क्षेत्र के समीकरण बैठाते हुए यह माना जा रहा है कि इस बार भाजपा प्रदेश में दो आरक्षित सीटों में से एक महिला को देगी तथा अन्य आठ में से दो जाट, एक गुर्जर, एक पंजाबी, एक अहीर, एक ब्राह्मण सहित एक पिछड़े वर्ग के नेता को मैदान में उतारने पर विचार किया जा रहा है। इस मैराथन बैठक में ही राज्य भाजपा के कर्णधारों ने 9 मार्च को रोहतक में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई है। यूं तो प्रदेश कार्यसमिति में 350 कार्यकर्ता और नेता अपेक्षित रहते हैं, मगर इस बार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह संख्या 500 तक जा सकती है।

चार चेयरमैन की नियुक्ति ने साफ कर दिया चुनावी परिदृश्य

राज्य में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने का परिदृश्य बुधवार तब खारिज हो गया जब सरकार ने चार नए चेयरमैन की नियुक्ति की। इनमें जींद उपचुनाव में भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार टेकराम कंडेला को सुरेंद्र तेवतिया की जगह चेयरमैन बनाया गया है।

राजनीति के जानकार मानते हैं कि यदि भाजपा को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने होते तो चार नए चेयरमैन की नियुक्ति नहीं की जाती। क्योंकि विधानसभा चुनाव में जाने के साथ ये नियुक्तियां रद मानी जाती हैं। इसलिए अब राज्य का चुनावी परिदृश्य साफ हो गया है।

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