नए ITR फॉर्म्स में हुए कितने बदलाव, पढ़ें और जानिए पूरी बात
देश के आयकर विभाग की ओर से हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स को नोटिफाई किया जाता है। इन फॉर्म्स में हर साल कुछ न कुछ बदलाव होते ही रहते हैं। आयकर विभाग की ओर से 1 अप्रैल 2019 को नए आटीआर फार्म जारी किए गए थे। ऐसे में बतौर टैक्स पेयर आपके लिए समझना जरूरी है कि इस बार आईटीआर फॉर्म्स में क्या कुछ बदलाव हुए हैं।
हमने इस बारे में
टैक्स और इन्वेस्टएमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन से विस्तार से बात की है।
बलवंत जैन ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जारी हुए आईटीआर फॉर्म की संख्या तो वही है, लेकिन कौन आईटीआर-1 और आईटीआर-4 को फाइल कर सकता है उसकी शर्तों को विस्तार दे दिया गया है।
अब तक कौन भर सकता था आईटीआर-1 फॉर्म?
पिछले साल तक इसे 50 लाख रुपए से कम की आय वाले करदाता ही भर सकते हैं। इसमें नौकरी से होने वाली आय, हाउस प्रॉपर्टी (सिर्फ एक घर) से होने वाली आय और अन्य आय (ब्याज एवं कमीशन से होने वाली आय) शामिल होती है। एग्रीकल्चर इनकम 5,000 रुपये सालाना से ज्यादा नहीं है तो आप इसे भर सकते थे।
अब क्या हुआ बदलाव?
अब इन चार शर्तों पर आईटीआर-1 फॉर्म नहीं भर सकते हैं….
- अगर आप किसी कंपनी में डॉयरेक्टर हैं
- आप गैर सूचीबद्ध कंपनी में निवेशक हैं
- कोई किसी और व्यक्ति की इनकम आप में एड हो रही है जिस पर टीडीएस कटा है
- इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में कोई खर्चा क्लेम कर रहे हो
आईटीआर-4 को कौन कर सकता है फाइल?
इस फॉर्म को सुगम कहते हैं। इसमें प्रिजम्पटिव सोर्स ऑफ इनकम को शामिल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर समझें अगर आपके प्रोफेशन से 10 लाख की आय हुई है तो इसमें से 5 लाख को आय और 5 लाख को खर्च मान लिया जाएगा और इसी 5 लाख की आय पर आपको टैक्स देना होगा। वहीं बिजनेस करने वाले लोगों के मामले में यह आंकड़ा 8 फीसद और 92 फीसद का होता है। यानी आपकी कुल आय में से 8 फीसद हिस्से को आमदनी और 92 फीसद हिस्से को खर्च मान लिया जाता है और इसी 8 फीसद को आय माना जाएगा।
अभी तक की स्थिति के मुताबिक नॉन रेजिडेंट (एनआरआई) भी आईटीआर-4 फॉर्म को भर सकते थे। लेकिन वो अब ऐसा नहीं कर सकते हैं। अब यहां पर काफी सारे प्रतिबंध आ गए हैं।
क्या हुआ बदलाव?
आईटीआर-4 में आईटीआर-1 की चारों शर्तें आ ही गईं हैं। साथ ही इसमें इनकम से जुड़े प्रतिबंध जोड़ दिए गए हैं, जैसे कि 50 लाख से अधिक आय है तो आप आईटीआर-4 दाखिल नहीं कर सकते और अगर आप लॉस कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हैं तो भी आप आईटीआर-4 नहीं भर सकते हैं।
कहां आया सबसे बड़ा बदलाव?
बलवंत जैन ने बताया कि आईटीआर फॉर्म-2 और आईटीआर-3 कौन फाइल कर सकता है उसमें बदलाव नहीं हुए हैं, लेकिन इसमे क्या डिटेल दी जानी जरूरी है, उसमें बदलाव आए हैं।
इसमें आपको काफी डिटेल देनी होगी। मसलन आप कहां-कहां डायरेक्टर है और गैर सूचीबद्ध कंपनियों में आपके पास कहां-कहां शेयर होल्डिंग है। इसके अलावा आपसे आपके रेजिडेंशियल स्टेट्स के निर्धारण के लिए आपसे कुछ सवाल पूछे जाएंगे जैसे कि आप भारत में पिछले साल कितने समय तक रहे हैं? दो साल, 4 साल और 10 साल में…आपको इसकी डिटेल देनी होगी।
ऑनलाइन रिटर्न का दायरा बढ़ा?
पिछले साल तक जो सीनियर सिटिजन आईटीआर-1 और 4 फाइल करते थे और जिनकी आय 5 लाख से कम थी, जो कि रिफंड क्लेम नहीं करते थे वो पेपर रिटर्न फाइल कर सकते थे। लेकिन अभी 5 लाख वालों को इससे राहत दे दी गई हैं उन्हें अब इसे भरने की जरूरत नहीं है। ऐसे में पेपर रिटर्न फाइल करने की सुविधा सिर्फ सीनियर सिटिजन के पास ही है।