दिल्ली में पहली बार सौर ऊर्जा से दौड़ी मेट्रो, करोड़ों की बचत
दिल्ली मेट्रो के नाम गुरुवार को एक और उपलब्धि जुड़ गई। राजधानी में पहली बार सौर ऊर्जा से मेट्रो का परिचालन किया गया। मेट्रो की वायलेट लाइन पर जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से केंद्रीय सचिवालय के बीच इसका परिचालन किया गया।
डीएमआरसी को मध्यप्रदेश स्थित रीवा में बने सोलर पावर पार्क से समझौते के तहत गुरुवार को 27 मेगावाट ऊर्जा की आपूर्ति की गई। बिजली की लागत कम करने के लिए सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मेट्रो के 371 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को चलाने के लिए फिलहाल 180 से 200 मेगावाट बिजली की जरूरत है। मेट्रो को रीवा से कुल 99 मेगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति होगी, जो अभी 27 मेगावाट से शुरू की गई है। दिल्ली मेट्रो फिलहाल स्टेशन और पार्किंग की छतों पर सोलर पावर प्लांट की
मदद से 28 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही है। इस तरह रीवा से आपूर्ति होने के बाद उसके पास कुल 127 मेगावाट सौर ऊर्जा उपलब्ध होगी।
मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक, सौर ऊर्जा का प्रयोग मेट्रो के परिचालन के साथ स्वचालित सीढियां, लिफ्ट समेत अन्य कामों में भी होगा। दिल्ली मेट्रो का मकसद सौर ऊर्जा नीति के तहत अगले कुछ वर्षों में अपना पूरा परिचालन सौर ऊर्जा पर स्थानांतरित करने का है। ऐसा होने पर दिल्ली मेट्रो दुनिया की पहली 100 फीसदी सौर ऊर्जा पर चलने वाली मेट्रो बन जाएगी।
41 करोड़ बचत का अनुमान
समझौते के तहत मेट्रो रीवा से यह सौर ऊर्जा अगले 25 सालों तक लेगी। मेट्रो को 3.30 पैसे प्रति यूनिट की लागत आएगी। 99 मेगावाट से मेट्रो को रोजाना करीब 41 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। अभी कुल बिजली खपत का 38% खर्च मेट्रो परिचालन पर होता है।