कितने पैसे हैं PM मोदी के बैंक खाते में? जानिए…

प्रधानमंत्री ने कहा, जब मैं सीएम बना तो वेतन आने की शुरुआत हो गई और बैंक अकाउंट खुल गया. मैंने कभी देखा नहीं है, उसे मेरा स्टाफ देखता था. जब मैं वहां से निकला तो अफसरों को बुलाया और कहा कि ये पैसा मेरा नहीं है. मैं ये पैसा दे देना चाहता हूं.

सिने अभिनेता अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खास बातचीत की. इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कई जानकारियां शेयर कीं जिसके बारे में आम लोगों को कम ही जानकारी होगी. देश के कई टीवी चैनलों पर एक साथ प्रसारित इस इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने अक्षय कुमार से अपनी निजी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ बताया.

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पहले उनके कितने बैंक अकाउंट थे और उसमें जमापूंजी का उन्होंने क्या किया. अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछा कि जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने तो आपके बैंक में कुल जमा पूंजी 21 लाख रुपए थी और वो 21 लाख रुपए आपने अपने स्टाफ के बच्चियों के नाम एफडी कर के बांट दिए थे. फिर आज आपका बैंक बैलेंस कितना है? इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ये आधी अधूरी बात है, इसलिए कि जब मैं गुजरात का CM बना तो मेरा बैंक अकाउंट नहीं था. जब MLA बना तो सैलरी आने लगी. 

स्कूल में देना बैंक के लोग आए थे. उन्होंने बच्चों को गुल्लक दिया और कहा कि इसमें पैसे जमा करें और बैंक में जमा कर दें लेकिन हमारे पास होता तब तो डालते. तब से अकाउंट यूं ही पड़ा रहा. गांव छोड़ कर चला गया. बैंक अधिकारी मुझे ढूंढते रहते थे कि खाता बंद कराने के लिए इस आदमी को लाएं कहां से. 30-32 साल तक वो अकाउंट बना रहा. बाद में बैंक अधिकारियों को पता लगा कि मैं राजनीति में हूं तो बैंक वाले मेरे पाए आए.

उन्होंने कहा कि कागज पर दस्तखत कर दीजिए, बचपन का बैंक अकाउंट है, उसे बंद करना है.’ आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जब मैं सीएम बना तो वेतन आने की शुरुआत हो गई और बैंक अकाउंट खुल गया. मैंने कभी देखा नहीं है, उसे मेरा स्टाफ देखता था. जब मैं वहां से निकला तो अफसरों को बुलाया और कहा कि ये पैसा मेरा नहीं है. मैं ये पैसा दे देना चाहता हूं. बाद में एक सीनियर अफसर मेरे पास आए. उन्होंने समझाया कि गुजरात में आपके खिलाफ कई केस चल रहे हैं.

वकील महंगे हैं, इसलिए आपको पैसे की जरूरत पड़ेगी. बाद में काफी दबाव डालने पर मैं पैसे लेने के लिए राजी हो गया लेकिन उसका कुछ हिस्सा लगभग 21 लाख रुपया मैंने दे दिया. अपने सचिवालय में ड्राइवर, चपरासी की बच्चियों पर खर्च करने के लिए पैसे दिए. इसे लेकर गुजरात सरकार ने एक फाउंडेशन बनाया हुआ है. उसमें वे मदद कर भी रहे हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकार की तरफ से एक प्लॉट मिलता है, कुछ कम दाम में मिलता है. फिर मैंने वो पार्टी को दे दिया.

हालांकि कुछ नियम है जिस पर सुप्रीम कोर्ट में मामला है. जैसे ही वह क्लीयर होगा, प्लॉट मैं पार्टी के नाम कर दूंगा.’ प्रधानमंत्री ने एक दिलचस्प यह बताई कि ममता बनर्जी उन्हें हमेशा कुर्ते भेजती हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं कभी किसी से मिलता हूं तो मेरा कभी कोई फोन नहीं आता है. मैंने खुद को जीवन को ऐसा अनुशासित बनाया है. जहां तक ह्यूमर का सवाल है तो मेरे परिवार में मैं हमेशा पिता जी की नाराजग होते थे तो पूरे माहौल को हल्का कर देता था.

ममता दीदी साल में आज भी मेरे लिए एक-दो कुर्ते भेजती है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी साल में 3-4 बार खास तौर पर ढाका से मिठाई भेजती हैं। ममता दीदी को पता चला तो वो भी साल में एक-दो बार मिठाई जरूर भेज देती हैं.’

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