फिल्मकार सत्यजीत रे ने पत्नी से की थी दो बार शादी जानिए क्यों…

सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के एकमात्र ऐसे कलाकार हैं जिनकी झोली में पद्मश्री से पद्म विभूषण तक और ऑस्कर अवॉर्ड से लेकर दादासाहेब फाल्के जैसे पुरस्कार हैं. इसके अलावा सत्यजीत रे को 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिले हैं. 

सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के एकमात्र ऐसे फिल्मकार हैं जिनकी झोली में पद्मश्री से पद्म विभूषण तक और ऑस्कर अवॉर्ड से लेकर दादासाहेब फाल्के पुरस्कार हैं. इसके अलावा 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से भी उन्हें नवाजा जा चुका है. सत्यजीत की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ किसी फिल्म की स्क्र‍िप्ट से कम नहीं है. इस बारे में सत्यजीत रे की पत्नी व‍िजया ने अपनी जीवनी ‘माणिक एंड आई’ में ल‍िखा है.

विजया ने लिखा है कि वह किशोरावस्था से ही ऑस्कर विजेता फिल्मकार सत्यजीत रे की दोस्त थीं. लेकिन 1940 में पहली बार दोनों के बीच प्रेम हुआ. लेकिन दोनों को मालूम था कि परिवार वाले कभी उन दोनों का रिश्ता स्वीकार नहीं करेंगे. विजया ने लिखा है, ‘वह मुझसे उम्र में छोटे थे और एक करीबी रिश्तेदार थे. इस वजह से शादी की संभावना ही नहीं थी. इसलिए हम दोनों ने फैसला किया कि हम कभी शादी नहीं करेंगे. हम चाहते थे कि हमारी जिंदगी जैसी थी वैसे ही चलती रहे.’

इसके बाद विजया जब फिल्मों में काम की तलाश में मुंबई आईं तो सत्यजीत रे ने उन्हें प्रेम पत्र लिखने शुरू कर दिए और वह अक्सर उनसे मिलने कोलकाता से मुंबई आने लगे. सत्यजीत रे और विजया के बीच लगातार होती मुलाकातों से उनका प्रेम और गहरा हुआ और दोनों को लगने लगा कि अब वह एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते, बस फिर उन्होंने शादी कर ली.

दोनों ने मुंबई में परिवार वालों को बताए बिना रजिस्टर्ड मैरिज करने की योजना बनाई. विजया की मां ने उनकी योजना खारिज कर दी. लेकिन प्रेमी युगल ने विजया की मां के रुख को दरकिनार करते हुए 20 अक्टूबर, 1949 को विजया की बहन के घर पर शादी की. शादी के बाद छोटी सी पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें गुजरे जमाने के प्रसिद्ध थियेटर और फिल्म अभिनेता पृथ्वी राज कपूर अपनी पत्नी समेत शामिल हुए थे.

विजया ने लिखा है, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी सचमुच उनसे (सत्यजीत रे) शादी हो सकेगी. जब ऐसा हुआ तब हम इससे खुश भी हुए और हमें दुख भी हुआ क्योंकि हमें अपनी शादी छिपानी थी. हम एक साथ रह भी नहीं सकते थे. सत्यजीत रे ने अपने पारिवारिक मित्र और चिकित्सक नोशो बाबू को अपने और विजया के बारे में सब कुछ बता दिया. तब नोशो बाबू ने उन्हें अपनी मां को मनाने के लिए एक चालाकी भरी योजना बताई. राय ने अपनी शादी का खुलासा किए बिना अपने घर में घोषणा कर दी कि वह विजया के अलावा किसी और से शादी नहीं करेंगे.

लंबे ड्रामे के बाद सत्यजीत रे की मां दोनों की शादी कराने के लिए मान गईं. तीन मई, 1949 को दोबारा उनकी शादी हुई. इस बार उनकी शादी बंगाली रीति रिवाज से हुई. विजया ने लिखा है, ‘मैं बेहद खुश थी. पहले मुझे लगा था कि मैं कभी भी उनसे शादी नहीं कर पाऊंगी, लेकिन अब हम दूसरी बार शादी कर रहे थे.’

सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921 को कोलकाता में हुआ था, उनकी मृतयु 23 अप्रैल 1992 को हुई थी.

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