इमरान खान ने कहा- चुनाव बाद सुधरेंगे भारत से रिश्ते…
इमरान खान ने कहा, अभी एकमात्र समस्या भारत के साथ हमारे रिश्ते हैं लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारतीय चुनावों के बाद भारत के साथ भी हमारे संबंध सामान्य होंगे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एकमात्र समस्या है. उन्होंने लोकसभा चुनाव समाप्त हो जाने के बाद भारत के साथ संबंध सामान्य हो जाने की उम्मीद जताई. खान ने चाइना इंटरनेशनल कल्चरल कम्युनिकेशन सेंटर को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहा कि क्षेत्र में जब तक शांति और स्थिरता नहीं होगी, पाकिस्तान के लिए आर्थिक समृद्धि मुश्किल है और पाकिस्तान सरकार अभी इसी पर काम कर रही है.
खान दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) में हिस्सा लेने के लिए चीन में हैं.पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को उम्मीद है कि अफगानिस्तान में राजनीतिक समाधान कामयाब होगा और युद्धग्रस्त देश में स्थिरता आएगी. पाकिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी एपीपी ने खान के हवाले से कहा, ‘अफगानिस्तान में जो कुछ होता है, उसका असर पाकिस्तान के सीमाई इलाकों में होता है. इसलिए हम एक शांतिपूर्ण क्षेत्र के लिए काम कर रहे हैं. ईरान से हमारे अच्छे संबंध हैं और हम उन्हें मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.’ इमरान खान ने कहा, ‘अभी एकमात्र समस्या भारत के साथ हमारे रिश्ते हैं लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारतीय चुनावों के बाद भारत के साथ भी हमारे संबंध सामान्य होंगे.’
बीआरएफ की बैठक में 25 अप्रैल को बीजिंग में आने के बाद से खान भारत-पाकिस्तान संबंधों पर बोलने से परहेज कर रहे थे. बीते 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के संबंध काफी बिगड़ गए हैं. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से किए गए इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
बेल्ट एंड रोड फोरम से दूर रहा भारत
चीन के बेल्ट एंड रोड फोरम में दूसरी बार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का विरोध करते हुए भारत शामिल नहीं हुआ, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि विवादास्पद परियोजना दूसरे चरण में पहुंच चुकी है और इसका काम आगे बढ़ता रहेगा. भारत ने सीपीईसी का कड़ा विरोध किया, जो बेल्ट एंड रोड परियोजना का अहम हिस्सा है, जो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजरती है.
यही कारण है कि भारत इस हजारों अरब डॉलर की कनेक्टिविटी परियोजना का विरोध करता है. साल 2017 में बेल्ट एंड रोड फोरम की शुरुआत हुई थी और भारत इस सम्मेलन में सीपीएससी को लेकर दोबारा शामिल नहीं हुआ.
भारत इस कॉरिडोर को मंजूरी नहीं दे रहा है, जिससे चीन के साथ संबंधों पर भी असर पड़ रहा है. चीन का कहना है कि यह परियोजना पूरी तरह से आर्थिक है और इससे कश्मीर मामले पर चीन के तटस्थ रुख को प्रभावित नहीं करेगा.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2013 में बेल्ट एंड रोड पहल का प्रस्ताव दिया था, जिसका लक्ष्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप को राजमार्गो, रेल मार्गों और सी लेंस के माध्यम से जोड़ना है. इस तीन दिवसीय आयोजन में 37 देशों के आधिकारिक प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें शी ने इस आरोप पर अपना बचाव किया कि चीन गरीब देशों को ‘कर्ज के जाल’ में फंसा रहा है. चीन का सहयोगी पाकिस्तान उन देशों में शामिल है, जो चीन के कर्ज के बोझ से दबा हुआ है. समारोह को संबोधित करते हुए खान ने सीपीईसी की तारीफ की.
अरबों डॉलर का यह कॉरिडोर चीन के शहर कासगर को अरब सागर स्थित पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगा.