भीषण जल संकट: बूँद-बूँद को तरह रहे बुंदेलखंड के लोग

दशकों से पानी की दिक्कत से जूझ रहे बुंदेलखंड अंचल में एक बार वापस सूखे कंठ पानी की खोज में भटक रहे है. कहीं मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है तो कहीं गांव के गांव ही खाली हो रहे हैं. इलाके में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं और अंचल के कई शहर इस तरह तप रहे हैं कि देश के सबसे गर्म शहरों में इनका नाम शामिल हो गया है.

असहनीय तपन और भीषण गर्मी के कहर को झेल रहे बुंदेलखंड के दमोह में लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही है. पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. लिहाजा अब शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण क्षेत्र पीने के पानी की समस्या का इस कदर सामना कर रहे है कि प्यास के आगे गर्मी भी पीछे है.

मतलब तपती दोपहरी और रात के सन्नाटे के बीच भी लोगों का पूरा वक़्त पानी के इंतजाम में ही जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्त्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं. आलम ये है कि अधकांश क्षेत्रों में जिसे जहां भी जरा सा भी पानी दिखता है, वो उस पानी को अपने बर्तनो में भरने के लिए कश्मकश करने लगता है. 

यहां लोग पानी का एक टेंकर देखते ही दौड़ने लगते हैं और टेंकर रुका नहीं कि पानी के लिए भीड़ जमा हो जाती है और शायद जितना वक़्त इस टेंकर को मशीन से भरने में लगता है उससे एक चौथाई समय के अंदर ही टेंकर खाली हो जाता है.

पानी के लिए भागते लोगों पर ये जरा सा रहम हटा की नगर पालिका का है जो लोगों को घरों तक पाइप लाइन के माध्यम से तो पानी नहीं दे पाई, लेकिन टेंकर के जरिये कुछ राहत अवश्य दे रही है. 

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