इस वजह से एक सैनिक को दिया गया था नेपोलियन घोड़ा

आजकल कई कहनियाँ हैं जो सीख दे जाती हैं. ऐसे में आज हम आपको एक कहानी बताने जा रहे हैं जो बहुत पॉपुलर है. यह कहानी है नेपोलियन घोड़े की जो एक सैनिक को दिया गया था. आइए जानते हैं कहानी.

कहानी – एक बार एक सैनिक युद्ध से संबंधित विशेष समाचार लेकर नेपोलियन के पास आया. समाचार जल्द से जल्द नेपोलियन तक पहुंचाना था. इसलिए सैनिक बिना विश्राम किए घोड़ा दौड़ाता हुआ आया था. लगातार दौड़ते हुए सैनिक का घोड़ा इतना थक गया कि उसने वहां पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ दिया. नेपोलियन ने समाचार पढ़ा और उसका जवाब पत्र में देते हुए सैनिक से कहा, ‘तुम्हारा घोड़ा वीरगति को प्राप्त हो चुका है. लेकिन जवाब पहुंचाना बहुत जरूरी है. तुम मेरे घोड़े पर सवार होकर युद्धभूमि में जाओ और सेनापति तक मेरा पत्र जल्द से जल्द पहुंचा दो.’ नेपोलियन की बात सुनकर सैनिक के हाथ-पांव फूल गए. एकबारगी उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि नेपोलियन जैसा शासक उसे अपने सर्वश्रेष्ठ घोड़े पर बैठने को कह रहा है. उसने हाथ जोड़कर कहा ‘हुजूर! मैं निहाल हो गया. आपने अपने घोड़े पर बैठने को कह दिया, यही मेरे लिए फख्र की बात है. लेकिन मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं करूंगा. मैं किसी और सैनिक का घोड़ा ले लेता हूं और तुरंत रवाना हो जाता हूं युद्धभूमि की ओर.’

सैनिक की बात सुनकर नेपोलियन बोले, ‘तुम्हारी विनम्रता काबिले तारीफ है. लेकिन विनम्रता को इतना नहीं बढ़ने देना चाहिए कि वह आत्मविश्वास की जगह लेने लगे. सचाई यह है कि इस धरती पर कोई भी ऐसी ऊंची, उत्तम या गौरवपूर्ण स्थिति नहीं है और न ही ऐसी कोई असाधारण वस्तु है, जिसे कोई भी साधारण व्यक्ति अपने पौरुष से हासिल न कर सके. तुम एक सैनिक हो. वीरता, सूझबूझ और वफादारी ही तुम्हारी ताकत है. इसे बढ़ाओ, लेकिन वफादारी का मतलब आत्मविश्वासहीनता नहीं है. हमेशा याद रखो कि व्यक्ति साधारण से ही असाधारण बनता है.’

नेपोलियन की बात सुनकर सैनिक को अपनी भूल का एहसास हुआ. अपने उस महान शासक के सम्मान में सिर झुकाते हुए उसने आगे बढ़कर लगाम अपने हाथ में ली और घोड़े पर सवार होकर उसे सरपट दौड़ा दिया युद्धभूमि की ओर.

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