वित्त मंत्री ने वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ आर्थिक हालात, बजट प्रस्तावों पर की चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक में अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. बैठक में बजट से जुड़े सुझावों और प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत वित्तीय क्षेत्र के कई नियामक बैठक में शामिल हुये.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट वित्त मंत्री सीतारमण पांच जुलाई को लोकसभा में पेश करेंगी. बजट में अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज करने के उपायों पर जोर दिए जाने की संभावना है क्योंकि हाल में जारी आंकड़ों में देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में 6.8 प्रतिशत रह गई जो पांच साल का सबसे निचला स्तर है.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में दास के अलावा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के प्रमुख सुभाष चंद्र खुंटिया और वित्त मंत्रालय के कई शीर्ष अधिकारी शामिल हुए. एफएसडीसी वित्तीय क्षेत्र के नियामकों का शीर्ष निकाय है जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करते हैं. बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘‘एफएसडीसी की बैठक में अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति, संपूर्ण वृहद-आर्थिक हालात और वैश्विक विकास की साधारण समीक्षा की गयी. साथ ही आगामी बजट से जुड़े सुझावों और प्रस्तावों पर चर्चा हुई.’’
नियामक और सरकार के संबंधित सचिव बैठक में मौजूद रहे. वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे, कारपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास, भारतीय रिण शोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरमैन एम. एस. साहू और व्यय सचिव जी. सी. मुर्मु बैठक में उपस्थित थे.
देश की अर्थव्यवस्था के मौजूदा परिदृश्य पर एक सवाल के जवाब में दास ने कहा कि इसी महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को पहले ही पूरी तरह समझाया गया है. मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद प्रेस वार्ता में उन्होंने स्वयं वैश्विक वृद्धि के जोखिमों और देश के मौजूदा साल के परिदृश्य को समझाया था. हमने सात प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है. इसके आगे वह कुछ और नहीं कहेंगें.
उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिरता की चिंताओं के चलते अब सभी मौद्रिक नीतियों का आधारभूत विषय वित्तीय स्थिरता होगी. दास ने कहा कि बिमल जालान समिति अपनी रपट जून के अंत तक सौंप देगी. इस समिति को रिजर्व बैंक में आरक्षित पूंजी के उपयुक्त स्तर की समीक्षा और सुझाव देने के लिये गठित किया गया है. यह एफएसडीसी की 20वीं बैठक थी. हालांकि नयी सरकार के गठन के बाद यह एफएसडीसी की पहली बैठक हुई है.