श्रावण माह में साधक शिव की भक्ति में लीन हो जाता: धर्म

जिस तरह चैत्रमाह के आते ही पृथ्वी अन्नमय और प्राणी राममय हो जाता है, उसी तरह श्रावण माह के आते ही पृथ्वी हरे रंग की चादर ओढ़ लेती है और साधक शिव की भक्ति में लीन हो जाता है। श्रावण ही ऐसा माह है, जब कृष्ण गोपिकाओं के साथ और शिव सभी देवताओं के साथ पृथ्वी पर होते हैं। इस पूरे माह देवराज इंद्र शिव पर निरंतर रिमझिम वर्षा करके शीतलता प्रदान करते हैं। श्रावण में शिवपूजा करना, कांवड़ चढाना, रुद्राभिषेक करना, शिव नाम कीर्तन करना, शिवपुराण का पाठ करना अथवा शिव कथा सुनना, दान-पुण्य करना तथा ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना अतिशुभ माना गया है।

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