अब हर अस्पताल को देना पड़ेगा 15.48 लाख रुपये जुर्माना, जानें क्या है वजह
जैव चिकित्सीय अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम 2016 की अनदेखी पर नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) सख्त फैसला सुनाया है। इसके तहत देश के हर अस्पताल से 15.48 लाख रुपये जुर्माना वसूला जाएगा। इसके साथ ही बायो मेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) का सही ढंग से निस्तारण न करने के चलते एनजीटी ने प्रत्येक कॉमन बीएमडी ट्रीटमेंट प्लांट से करीब 38.70 लाख रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश दिया है।
बायो मेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) का सही ढंग से निस्तारण न करने के चलते एनजीटी ने प्रत्येक कॉमन बीएमडी ट्रीटमेंट प्लांट से करीब 38.70 लाख रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश दिया है।
शैलेश सिंह, प्रीती सिंह और संकलन पोरवाल ने याचिका दायर की थी। जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम, 2016 की अत्यंत खराब स्थिति पर चिंता जताई थी। याचियों की ओर से कहा गया था कि अस्पताल इलाज के साथ-साथ बीमारियां बांट रहे हैं। राज्यों को यह पता ही नहीं है कि अस्पतालों से निकलने वाला वेस्ट लोगों को गंभीर रोगों की जद में ला रहा है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी बेफिक्र हैं। एनजीटी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित राज्यों को इसमें शामिल कर सोमवार को फैसला दिया है। एनजीटी ने अपने फैसले में मुख्य सचिव को बीएमडब्ल्यू के निस्तारण की निगरानी के साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी लेने को कहा है। टिब्यूनल ने कहा है कि मुख्य सचिव हर माह डीएम के साथ इसके निस्तारण की समीक्षा करें। इसके साथ ही डीएम को अपने स्तर पर माह में दो बार बीएमडी निस्तारण की समीक्षा करने को कहा गया है।
हर स्तर पर लापरवाही
- किसी भी राज्य के पास बीएमडब्ल्यू के सुरक्षित निस्तारण के न तो इंतजाम हैं और न ही कोई एक्शन प्लान
- यूपी, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु सहित 15 राज्यों में प्लांट हैं फिर भी जमीन में दबा रहे बीएमडब्ल्यू
- अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, सहित छह राज्यों में बीएमडब्ल्यू के लिए निस्तारण के लिए प्लांट नहीं हैं
- यूपी, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित 10 राज्यों में आबादी के सापेक्ष बीएमडब्ल्यू की घोषित मात्र बेहद कम
- राज्यों ने बीएमडब्ल्यू की स्थिति को लेकर कोई पड़ताल ही नहीं की, 25 फीसद अस्पतालों की एनओसी लंबित