जेट एयरवेज में और निवेश नहीं करेगी Etihad, अनिल अग्रवाल ने भी किया मना
खाड़ी क्षेत्र की विमानन कंपनी एतिहाद एयरवेज ने कहा है कि कर्ज के बोझ तले डूबी Jet Airways में और निवेश करने का उसका कोई इरादा नहीं है। कंपनी का कहना है कि उसने जेट एयरवेज में देनदारियों से संबंधित अनसुलझे मुद्दों के चलते ही उसमें और निवेश नहीं करने का फैसला किया है। पिछले 18 अप्रैल को परिचालन से बाहर हुई जेट एयरवेज में एतिहाद की 24 फीसद हिस्सेदारी है। जेट एयरवेज इस वक्त दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। कंपनी के लिए बोली लगाने की दूसरी आखिरी तिथि 10 अगस्त को खत्म हो गई। आखिरी तिथि तक तीन निवेशकों ने जेट एयरवेज के लिए शुरुआती बोली दाखिल की है।
माना जा रहा था कि कंपनी में करीब एक-चौथाई हिस्सेदार एतिहाद एयरवेज उसके लिए बोली लगाएगी। लेकिन एक बयान में एतिहाद ने कहा कि उसने भारतीय विमानन कंपनी में और निवेश के लिए अभिरुचि (ईओआइ) दाखिल करने से इन्कार कर दिया। इसकी वजह यह थी कि जेट एयरवेज की मौजूदा हालत में उसमें निवेश करना कंपनी के लिए ना तो व्यवहार्य, और ना ही समझदारी वाला कदम होता। एतिहाद का यह भी कहना था कि उसने जेट एयरवेज के मुद्दे सुलझाने की सभी कोशिशें कीं, लेकिन आंशिक शेयरधारक होने की वजह से उसके हाथ बंधे हुए थे। हालांकि एतिहाद ने यह भी स्पष्ट किया कि जेट एयरवेज में निवेश नहीं करने के उसके फैसले से भारतीय बाजार के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आएगी। उसने कहा कि वर्तमान में वह अबू धाबी से 10 भारतीय शहरों के लिए विमानों का परिचालन कर रही है और अपने विमानों की बारंबारता लगातार बढ़ोतरी कर रही है।
अनिल अग्रवाल ने भी किया मना
रविवार को जेट एयरवेज के लिए बोली लगाने की घोषणा करने वाली अनिल अग्रवाल की कंपनी भी सोमवार को इससे पलट गई। वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के परिवार द्वारा ट्रस्ट के अधीन चलाई जाने वाली कंपनी वोल्कन इन्वेस्टमेंट्स ने जेट एयरवेज के लिए अभिरुचि (ईओआइ) दाखिल करने की बात कही थी।
लेकिन सोमवार को अग्रवाल ने एक बयान के माध्यम से कहा कि जेट एयरवेज के लिए वोल्कन की ईओआइ का मकसद संभावनाओं की पड़ताल करना था। इसके विस्तृत अध्ययन और अन्य प्राथमिकताओं के बाद हमने फैसला किया है कि कदम आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। बयान के मुताबिक वोल्कन ने ईओआइ इसलिए दाखिल किया था ताकि वह कंपनी की मौजूदा हालत समझ सके। इसके बाद जेट के लिए निवेशक मिलने पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं।