आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत हो सकते हैं देश के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’
‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) के लिए कई दशक पहले प्रस्ताव भेजा गया था जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हकीकत में बदला जा रहा है और इस रेस में सबसे पहला नाम आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का है। इनका कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा हो रहा है।
तीनों सेना का प्रमुख
CDS के पास सैन्य सेवा का अनुभव और उपलब्धियां होना आवश्यक है क्योंकि यह तीनों सेना का प्रमुख होगा। साथ ही इसकी जिम्मेदारी देश की सेनाओं को वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप तैयार रखना और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करना होगा। इस पद की जिम्मेदारी थल सेना, नौसेना या वायु सेना के प्रमुख को दी जा सकती है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पर का ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस 73वें स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा किया कि तीनों सेना के प्रमुखों से ऊपर एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद का सृजन किया जाएगा। इसके बाद से ही सबकी निगाहें आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत पर टिकी हैं। इस पद के सृजन, कार्यों व तौर तरीकों को सुनिश्चित करने के लिए एक शीर्ष स्तर की कमिटी का गठन होगा। इस साल के अंत तक यह कमिटी अपना काम करेगी।
1999 में ही इसके लिए भेजा गया प्रस्ताव
वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध को लेकर हाई लेबल कमिटी द्वारा देश की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कराई गई और कमिटी ने कई सुझावों के साथ एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भी सलाह दी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने और सैन्य मसलों पर सरकार के लिए सिंगल पॉइंट सलाहकार के तौर पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपने का सुझाव दिया गया। लेकिन इस मामले में फैसला राजनीतिक पेंच के कारण फंसा हुआ था।
इसके बाद 2012 में नरेश चंद्र टास्कफोर्स ने दो साल के कार्यकाल वाले चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के चेयरमैन का प्रस्ताव दिया। वर्तमान में इसके अंतर्गत तीनों चीफ आते हैं जिनमें सबसे सीनियर चैयरमैन के तौर पर काम करता है।
स्वतंत्रता के बाद से ही थी जरूरत
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता के बाद से ही भारत में आर्मी, नेवी व एयरफोर्स के लिए एक कमांडर के पद की आवश्यकता रही है। जब भारत में ब्रिटिश शासन था तब भारत के कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल क्लाउड आचिनलेक थे जिनके पास तीनों सेवाओं का अधिकार था। उन्हें ‘सुप्रीम कमांडर’ का टाइटल दिया गया था।