भारत में हो रहे बदलावों को पचा नहीं पा रहा पाकिस्तान, इमरान ने किया एलओसी का दौरा
अनुच्छेद-5 को हटाने के भारत सरकार के फैसले और चंद्रमा तक भारत की दौड़ को पाकिस्तान पचा नहीं पा रहा है। जम्मू-कश्मीर को लेकर किए गए संवैधानिक बदलाव से पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींदें उड़ी हुई हैं। पाकिस्तानी हुक्मरान बार-बार युद्ध की धमकियां दे रहे हैं। भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कड़े कदमों से पाकिस्तानी सेना के हौसले पस्त हो गए हैं। यही वजह है कि पस्त होते सेना के मनोबल को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के नेता एलओसी का दौरा कर रहे हैं। इन्हीं कोशिशें के तहत कल शुक्रवार को इमरान खान ने भी एलओसी का दौरा किया।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, एलओसी के दौरे पर आए प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa), रक्षा मंत्री परवेज खटक (Defence Minister Pervez Khattak), विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) समेत कई नेता मौजूद थे। कहा जा सकता है कि एक ओर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां देश के विकास के लिए इसरो के वैज्ञानिकों के साथ थे तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश को युद्ध की आग में झोंकने के इरादे के साथ सीमा पर तनाव बढ़ाने की कोशिशों में जुटे थे।
अभी हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कश्मीर मसले को मुस्लिम समुदाय से जोड़ने की कोशिश पर पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई थी। यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद बिन सुल्तान अल नाहयान ने साफ कहा था कि कश्मीर मसले का मुस्लिम समुदाय से कुछ लेना-देना नहीं है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवाद का मुद्दा है। दरअसल, कश्मीर का राग अलाप रहा पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग थलग पड़ चुका है। वह कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी ले जाने की नाकाम कोशिश कर चुका है।
वास्तव में भारत के खिलाफ माहौल बनाने की तमाम कोशिशें में नाकाम हुए पाकिस्तानी हुक्मरानों को अपनी जनता की नाराजगी का डर सता रहा है। यही वजह है कि वे आए दिन भारत को धमकियां दे रहे हैं। अभी कल ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा ने कहा था कि पाकिस्तानी सेना का हर सिपाही कश्मीर के लिए आखिर गोली, आखिर सिपाही, आखिर सांस तक लड़ेगा। शुक्रवार को शहीद दिवस के मौके पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कश्मीर को पाकिस्तान के ‘गले की नस’ बता डाला।