कश्मीर पर झूठ बोल रहे पाकिस्तान की खुली कलई, बलूचिस्तान में नरसंहार पर बलूच नेता ने जमकर लताड़ा

बलूचिस्तान में आए दिन पाकिस्तान से आजादी के नारे लगाए जाते हैं। यहां के लोग बीते सात दशकों से बलूचिस्तान की आजादी और हक के लिए लड़ रहे हैं। जिनेवा में चल रहे UNHRC की बैठक के दौरान भी बलूचिस्तान का मुद्दा गरमाता जा रहा है। जिनेवा में बलूच मानवाधिकार परिषद के जनरल सेक्रेटरी समद बलूच ने इसको लेकर ताजा बयान दिया है। समद बलूच ने कहा, ‘हमने बहुत कुछ झेला है। हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक अधिकारों को नकार दिया गया है। बलूचिस्तान को सिर्फ लूटा गया है, पाकिस्तान ने हमारे संसाधनों को लूटा है।

आतंकियों के लिए ‘जन्नत’ है पाकिस्तान
आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान को जन्नत बताते हुए बलूच मानवाधिकार परिषद के महासचिव समद बलूच ने कहा कि पाकिस्तान, मानवाधिकारों का हनन करते हुए बलूचिस्तान में अल्पसंख्यकों का नरसंहार कर रहा है एस बलूच आगे कहते हैं, ‘पाकिस्तान आतंकवादियों को पालता है। पाकिस्तानी सेना ना केवल बलूच लोगों का नरसंहार कर रहा है, बल्कि वो हमारे सिंधी भाइयों, पश्तूनों के नरसंहार में भी शामिल है।

पाकिस्तान का सच यही है कि उसकी सेना बलूचिस्तान में जुल्म करने का हर रिकॉर्ड तोड़ रही है। आजादी के 7 दशकों के बाद भी वहां के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान को सबसे तनावग्रस्त इलाका माना जाता है। आर्थिक और सामाजिक दोनों लिहाज से बलूचिस्तान पाकिस्तान के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। पाकिस्तानी सेना पर सालों से बलूचिस्तान आंदोलन को दबाने, बलोच लोगों को गायब करने और उनका नरसंहार का आरोप है।

बता दें, समद बलूच के साथ कई अन्य कार्यकर्ताओं ने भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान पर हमला बोला है।

पाकिस्तान की खुली पोल
बलूचिस्तान की ओर से पाकिस्तान को लेकर ये बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान सरकार ने कश्मीर पर UNHRC में एक डोजियर प्रस्तुत किया है।UNHRC सत्र में, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के लिए भारत सरकार के ऐतिहासिक कदम के बाद कश्मीर पर एक झूठी कहानी पेश की। हालांकि, जिनेवा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल दल ने पाकिस्तान को इसपर कड़ी फटकार लगाई है।

दिलचस्प बात यह है कि जब कुरैशी सत्र को संबोधित कर रहे थे, तब पाकिस्तान में मानवाधिकार की विकट स्थिति के खिलाफ यूएन  मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया था।

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