उत्तराखंड की सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती को आरक्षण का रोस्टर लागू

शासन ने सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी कर दिया है। इसमें सामान्य वर्ग को पहले क्रम पर रखते हुए आरक्षण प्रतिशत के हिसाब से क्रमवार रोस्टर चार्ट जारी किया गया है। इसमें अनुसूचित जाति को आरक्षण के लिहाज से छठवें, अन्य पिछड़ा वर्ग को आठवें, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 वें और अनुसूचित जनजाति को 25 वें क्रम में रखा गया है। इसी तरह नए रोस्टर में आरक्षण के लिहाज से की गई पदों की गणना में क्षैतिज आरक्षण की गणना की जाएगी।

इस संबंध में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने सभी विभागों में नियुक्ति प्राधिकारियों को नई व्यवस्था के मुताबिक ही सीधी भर्ती के सापेक्ष कार्यरत कार्मिकों को रोस्टर क्रमांक के तहत रखते हुए रोस्टर पंजिका तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

शासन ने पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवाओं में लेने के लिए क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि सरकारी सेवा में एक बार पूर्व सैनिक के रूप में लाभ लेने के बाद दोबारा यह लाभ नहीं मिलेगा। प्रदेश में सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिए 19 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को दस प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

यानी सौ पदों में 19 पद अनुसूचित जाति जनजाति, 14 पद अन्य पिछड़ा वर्ग, 10 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और अनुसूचित जनजाति के चार पद हैं। प्रदेश में बीते वर्ष एक आदेश के तहत रोस्टर क्रमांक में बदलाव करते हुए अनुसूचित जाति को पहले क्रमांक पर रखा गया था। अगस्त माह में हुई कैबिनेट बैठक में इसमें बदलाव करते हुए पहले से हटाकर छठवें स्थान पर रखा गया।

इसी आधार पर अब सीधी भर्ती में आरक्षण का रोस्टर तैयार किया गया है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नियुक्ति प्रधिकारी विभाग में सीधी भर्ती के कार्मिकों की नई व्यवस्था के अनुसार रोस्टर पंजिका तैयार करेंगे। संवर्गीय रोस्टर बनाने के बाद सामान्य व आरक्षित पदों के लिए क्षैतिज आरक्षण की गणना तैयार करते हुए रोस्टर पंजिका बनाई जाएगी।

नियुक्ति प्राधिकारी हर माह विभागीय रिक्तियों के आधार पर रोस्टर पंजिका को अपडेट करेंगे। इसके लिए एक नोडल अधिकारी भी बनाया जाएगा, जो हर माह की 15 तारीख तक शासन को रोस्टर पंजिका समेत रिक्तियों की जानकारी उपलब्ध कराएगा। ऐसा न होने पर नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। नियुक्ति प्रधिकारी सीधी भर्ती के लिए समय-समय पर इसकी सूचना संबंधित आयोग को भेजेंगे।

इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि क्षैतिज आरक्षण के अंतर्गत जिन श्रेणियों में चयन के लिए पात्र अभ्यर्थी नहीं मिलेंगे, उनमें रिक्त पदों को उसी वर्ग की सामान्य श्रेणी से भरा जाएगा। दिव्यांगजनों को क्षैतिज आरक्षण उन्हीं सेवा संवर्गो में दिया जाएगा, जिन्हें समाज कल्याण विभाग ने विभागों व संवर्गो के लिए निर्धारित किया है।

सरकारी सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था 

अनुसूचित जाति- 19 प्रतिशत

अन्य पिछड़ा वर्ग-14 प्रतिशत

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग- 10 प्रतिशत

अनुसूचित जनजाति-04 प्रतिशत

प्रत्येक श्रेणी में क्षैतिज आरक्षण की गणना

उत्तराखंड महिला-30 प्रतिशत

भूतपूर्व सैनिक – 05 प्रतिशत

दिव्यांगजन – 04 प्रतिशत

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित -02 प्रतिशत

सरकारी सेवाओं के समस्त संवर्गो की पदोन्नति प्रक्रिया स्थगित

सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर निर्णय होने तक सभी सरकारी सेवाओं में पदोन्नति प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। अप्रैल 2019 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

प्रदेश में इस समय पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। आरक्षण के समर्थन और विरोध में लामबंदी चल रही है। कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार डाले जा रहे दबाव को देखते हुए फिलहाल शासन ने सरकारी सेवाओं, शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों व स्वायत्तयशासी संस्थाओं में पदोन्नति प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्देश दिया है।

पहले रोस्टर निर्धारण न होना भी इसका एक प्रमुख कारण माना जा रहा था, हालांकि, अब शासन ने आरक्षण का रोस्टर भी जारी कर दिया। पदोन्नति प्रक्रिया स्थगित करने के लिए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश में एक अप्रैल 2019 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है। इस आदेश में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर निर्णय दिया गया था।

मुख्य सचिव ने अपने आदेश में डीपीसी की बैठक का आयोजन न करने एवं शासन के अग्रिम आदेशों तक पदोन्नति स्थगित करने का निर्देश दिया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सरकार ने भी उच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर की हुई है। इस याचिका के पारित होने वाले निर्णय और इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा लिए जाने वाले नीतिगत निर्णय तक राज्याधीन सेवाओं के समस्त संवर्गो में पदोन्नति संबंधी प्रक्रिया को अग्रिम आदेशों तक स्थगित रखा जाए।

पदोन्नति स्थगित होने से प्रभावित होंगी विभागीय भर्तियां

शासन द्वारा विभागीय पदोन्नति को स्थगित किए जाने के निर्णय का प्रभाव अब सीधी भर्ती पर भी पड़ने की आशंका है। कारण यह कि पदोन्नति न होने के कारण निचले स्तर पदों के रिक्त न होने पर नई रिक्तियां नहीं निकल पाएंगी। ऐसे में नजरें अब सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर टिक गई हैं।

प्रदेश के विभिन्न विभागों में पदोन्नति के लिए प्रस्ताव शासन में लंबित चल रहे हैं। शासन द्वारा प्रक्रिया को स्थगित करने से सबसे अधिक झटका उन कर्मचारियों को लगा है जो सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं। इतना ही नहीं इससे नई भर्तियां भी प्रभावित होंगी।

सरकार ने भर्तियों को लेकर जो नया आरक्षण रोस्टर जारी किया है, वह वहीं लागू होगा, जहां पहले से पद रिक्त चल रहे हैं। जिन विभागों में पदोन्नतियों के सापेक्ष रिक्तियां होनी हैं वहां इनका फिलहाल प्रभावित होना तय माना जा रहा है।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड सरकार ने एमवी एक्ट के तहत जुर्माने में दी राहत 

दरअसल, पदोन्नति में आरक्षण को लेकर इस समय कर्मचारी संगठन आंदोलित हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी कई याचिकाएं लंबित चल रही हैं, जिन पर अगले माह यानी अक्टूबर में फैसला आना है। वहीं प्रदेश सरकार भी इसी मसले पर हाईकोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर चुकी है, जिस पर अभी फैसला आना बाकी है। चूंकि यह एक संवेदनशील विषय है इस कारण सरकार का कोर्ट के निर्णय के बाद ही कोई कदम उठाएगी। तब तक पदोन्नति के लिहाज से रिक्त होने वाले पदों पर भी नई भर्तियां नहीं हो पाएंगी।

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