शेयरों और म्युचुअल फंडों में निवेश का सही है समय, ऐसे चुनें मालामाल करने वाले शेयर और फंड

त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है और यह समय है, जब नौकरीपेशा लोगों के हाथ में बोनस के पैसे आते हैं। अच्छी बात यह है कि इक्विटी में निवेश का यह वक्त भी अनुकूल है। अच्छे शेयर्स बाजार में गिरावट के कारण आकर्षक कीमतों पर उपलब्‍ध हैं। ऐसे में जिन्हें शेयर बाजार की प्रणाली की जानकारी नहीं है, वे इक्विटी म्युचुअल फंडों में भी निवेश कर सकते हैं। मोदी सरकार ने कहा है कि 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ रुपये की बनाएंगे। अर्थव्यवस्था मजबूत होने के साथ ही शेयर बाजार का प्रदर्शन भी बेहतर होगा। शेयरों या इक्विटी म्युचुअल फंडों में किया गया निवेश लंबी अवधि में आपको शानदार रिटर्न दे सकता है। अगर आप ऐतिहासिक तौर पर देखेंगे तो लंबी अवधि में इक्विटी ने निवेश के दूसरे परिसंपत्ति वर्ग जैसे रियल एस्टेट, गोल्ड, डेट आदि की तुलना में कहीं बेहतर रिटर्न दिया है। तो आइए, सबसे पहले हम विशेषज्ञों से यह जानते हैं कि शेयर बाजार में निवेश करने का यह समय कितना उपयुक्त है।

समय है उपयुक्त, शेयरों और सेक्टर के चयन पर दें ध्यान

सीएनआई रिसर्च के सीईओ किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि शेयरों में निवेश का यह समय उपयुक्त है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहना आम बात है। हालांकि, अगर कोई निवेशक शेयरों और सेक्टर का सही तरीके से चयन करता है तो निश्चित ही वह लंबे समय में मालामाल हो सकता है। ओस्तवाल कहते हैं कि आम तौर पर शेयरों का चयन करते समय निवेशकों को इस बात पर गौर करना चाहिए कि कंपनी का मैनेजमेंट कैसा है। उस कंपनी का कॉरपोरेट गवर्नेंस कैसा है और प्राइस टू अर्निंग रेशियो क्या है। अगर इन मानदंडों पर कंपनी खरी उतरती है तो यह देखा जाना चाहिए कि आखिर वह कंपनी किस सेक्‍टर की है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के मर्जर के बाद लंबे समय के लिए सरकारी बैंकों के शेयर भी खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा, केमिकल, प्राइवेट बैंक और आईटी सेक्टर की अच्छी कंपनियां भी लंबे समय में अच्छा लाभ दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल निवेशकों को मेटल और फार्मा में निवेश से परहेज ही करना चाहिए।

इक्विटी में म्युचुअल फंडों के जरिए क्यों करें निवेश

बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जो शेयरों के रिसर्च उसके चयन की विधि नहीं जानते और न ही इसकी जहमत उठाना चाहते हैं। दूसरी बात, शेयरों में निवेश करने के बाद उसे ट्रैक करना होता है और परफॉरमेंस को देखते हुए कदम उठाना होता है। इन सब परेशानियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इस मामले को आप इसके विशेषज्ञ पर छोड़ दें। म्युचुअल फंडों के फंड मैनेजर शेयरों के चयन और उसके प्रबंधन में एक्सपर्ट होते हैं। शेयरों की तुलना में म्युचुअल फंडों में रिस्क भी कम होता है क्योंकि ये सिर्फ एक कंपनी में नहीं, बल्कि कई सारी कंपनियों में निवेश करते हैं जिससे जोखिम भी बंट जाता है।

कैसे करें अच्छे म्युचुअल फंडों का चयन

टॉरस म्युचुअल फंड के सीईओ वकार नकवी कहते हैं कि इक्विटी म्युचुअल फंडों के चयन के कई मानदंड हैं। सबसे पहले तो यह देखिए कि इसने पिछले 5-7 वर्षों के दौरान कैसा प्रदर्शन किया है। बाजार का एक चक्र पूरा होने के लिए इतनी अवधि पर्याप्त है। अगर कोई फंड बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद बेहतर रिटर्न में सफल रहा है तो इससे साबित होता है कि उसका फंड मैनेजर उसके प्रबंधन को लेकर सक्रिय है।

हालांकि, भविष्य में वही फंड बेहतर रिटर्न दे इसकी कोई गारंटी नहीं दी जा सकती क्योंकि फंड मैनेजर बदल भी सकता है। फिर भी, ज्‍यादातर विशेषज्ञ इसे महत्वपूर्ण मानदंड मानते हैं।

कितने समय के लिए करें निवेश

नकवी के अनुसार, इक्विटी म्युचुअल फंडों में लंबी अवधि जैसे 10 साल के लिए निवेश किया जाना चाहिए। वैसे आप अपने लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता को देखते हुए 5-7 साल के लिए भी इक्विटी फंडों में निवेश कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि आप सिर्फ एक फंड में निवेश न करें, अपने निवेश को डाइवर्सिफाइ करें। उन्होंने कहा कि निवेशकों को सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंडों की जगह मल्टीकैप फंडों में निवेश करना चाहिए। मल्टीकैप फंडों में जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है।

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