जान जोखिम में डाल रस्सी का पुल पार करने को मजबूर ग्रामीण,प्रशासन कर रहा बड़े हादसे का इंतजार

रतलाम के गांव बाजेडा में बरसाती नाला पिछले कई सालों से ग्रामीणों की आफत बन गया है. नाले के उस पार किसानों की खेती है लेकिन बारिश के बाद छह महीने तक इन नाले को दो रस्सियों के सहारे पार कर जान जोखिम में डालकर नाला पार करना पड़ता है. इसके बाद कुछ माह गर्मियों में नाला सूख जाने पर राहत मिलती है लेकिन बारिश की दस्तक आते ही ग्रामीणों की जान भी आफत में आ जाती है. सालों से पुलिया की मांग न शासन सुन रहा न प्रशासन.

ग्रामीणों को घर से यदि खेत तक जाना हो तो इस नाले को रस्सी की मदद से पार करना होता है. गांव में दस बीस नहीं बल्कि पूरे डेढ़ सौ लोग रहते हैं. बाजेडा जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर है. सरकार किसी भी दल की रही हो लेकिन सुनवाई कभी नहीं हुई. आप जानकर हैरान होंगे कि इन गांव वालों को करना क्या होता है. मजबूर ग्रामीण रस्सी को नाले के दोनों ओर स्थित पेड़ से बांधते हैं, जिसका सहारा लेकर पुरुष तो ठीक बच्चे, बूढ़े और महिलाओं को भी इसी रास्ते गुजरना होता है. सोचिये जरा सी चूक हुई तो कितना बड़ा हादसा हो सकता है.

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ग्रामीणों का कहना है कि कई लोगों के खेत नाले के दूसरी ओर हैं. खेतों में जाने के लिए मजबूरीवश ग्रामीणों ने नाले पर दो रस्सियां को अस्थायी रूप से बांधकर उसे पार करने का मार्ग बनाया है. नाले के दूसरी ओर जाने के लिए दूसरा मार्ग गांव से तीन किलोमीटर दूर है. उन्होंने बताया कि मजबूरी में 40 फीट के नाले को रस्सी के सहारे पार कर काफी समय बच जाता है. पुलिया न होने के कारण मजबूरी में हमें ऐसा करना पड़ता है.

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रतलाम जनपद सीईओ को जब इस समस्या से जी मीडिया ने अवगत करवाया तो अधिकारी का कहना है कि वे अभी रतलाम स्थानांतरित होकर आए है. ज़ी मीडिया द्वारा इस समस्या की जानकारी मिली है, अब जल्द ही इस समस्या को लेकर जांच करवाएंगे और समस्या निदान की पूरी कोशिश करेंगे.

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