पूर्वी अंटार्कटिका: कई गुना तेजी से पिघल रहा है ,जरूरत है ठोस कदम उठाने की

पूर्वी अंटार्कटिका में 65 हजार से ज्यादा सुपर ग्लेशियल झीलें पाई गई हैं। ये झीलें ग्लेशियरों के ऊपर बनी होती हैं। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि सुपर ग्लेशियल झीलों की यह संख्या पूर्व में हुए अध्ययनों के आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। इसका मतलब है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर कई गुना तेजी से पिघल रहे हैं और यहां झीलों का निमार्ण हो रहा है।

यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने उपग्रहों से ली गई हाईरिजॉल्यूशन वाली इमेजों (चित्रों) का अध्ययन किया। ये उपग्रह अंटार्कटिका के पांच मिलियन यानी 50 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन इलाकों में बर्फ पिघलने की दर पिछले कुछ वर्षों तक बहुत कम थी, अब उन क्षेत्रों में भी झीलें बनने लगी हैं। इस अध्ययन के लेखकों में अमेरिका की डरहम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि पहली बार उन्होंने पूर्वी अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों का विस्तृत अध्ययन किया है।

ज्यादा हिस्सों में बनने लगी हैं झीलें

डरहम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक क्रिस स्टोक्स ने कहा, ‘हम जानते हैं कि पिछले कुछ समय से पूर्वी अंटार्कटिका में झीलें बन रही हैं, लेकिन हैरानी इस बात की है कि अब झीलें इस क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों बनने लगी हैं।’

तटीय झीलें में पोखरों का निर्माण चिंताजनक

शोधकर्ताओं के अनुसार, भले ही यहां बर्फ की चादर साल में ज्यादातर समय ठंडी होती हो, लेकिन सर्दियों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है। ऐसे में ग्लेशियरों की सतह पिघलने लगती है। उन्होंने कहा कि यहां तटीय क्षेत्रों में झीलों और पोखरों बनना दुनिया के लिए चिंताजनक है क्योंकि इसका असर पूरे विश्व में पड़ेगा। शोधकर्ताओं ने कहा कि बर्फ पिघलने का मतलब है कि पिछले अनुमानों के मुकाबले जलवायु परिवर्तन का असर अंटार्कटिका में अब ज्यादा पड़ने लगा है।

ठोस कदम उठाने की है जरूरत

शोधकर्ताओं ने जब जनवरी 2017 में पूर्वी अंटार्कटिक में बर्फ की चादरों के उपग्रह चित्रों (सेटेलाइट इमेज)को देखा तो पाया कि पिघलते पानी की झीलें कुछ किलोमीटर के दायरे में ही थीं और कई झीलें तो ऐसी थी जो समुद्र में तैर रही थीं। इससे पहले शोधकर्ताओं का अनळ्मान था कि इस क्षेत्र में महज कुछ हजार ही झीलें होंगी। लेकिन हाल ही में हुए अध्ययन में इस इलाके की पूरी तस्वीर बदल नजर आई। स्टोक्स ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के कारण पूर्वी अंटार्कटिका में बर्फ लगातार पिघल रही है। हमें समय रहते इससे बचने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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