तोड़ा 25 साल का रिकॉर्ड बारिश ने – बाढ़ की चपेट में बिहार, पूर्वी यूपी

इस साल मानसून ने कई रिकॉर्ड ध्वस्त किए हैं। औसत से 10 फीसद ज्यादा बरसात हुई है। मानसून की अवधि भी लंबी रही है। आमतौर पर 15 सितंबर के बाद मानसून की बारिश बंद हो जाती है, लेकिन 30 सितंबर तक देश के कुछ क्षेत्रों में बरसात का हाल ऐसा है मानो मानसून अभी पूरे शबाब पर हो।

मानसून जाने का नाम नहीं ले रहा

इस साल मानसून एक हफ्ते की देरी से आया था। केरल के तट से एक जून को मानसून टकराता है, लेकिन इस बार आठ जून को मानसून ने दस्तक दी थी। अब मानसून जाने का नाम नहीं ले रहा। जाने को कौन कहे, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में तो जमकर बरसात हो रही है। बिहार की राजधानी पटना समेत कई शहर पूरी तरह बाढ़ में डूब गए हैं। लोगों के घरों से लेकर दुकान, बाजार और अस्पतालों में पानी भरा है।

बरसात किसानों के लिए फायदेमंद

मौसम विभाग के मुताबिक जून-सितंबर के दौरान हुई बरसात किसानों के लिए फायदेमंद है। ज्यादा बरसात से किसानों को सर्दी में बोए जाने वाली फसलों का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी। गेहूं, सरसों और चने की खेती के लिए बरसात बहुत लाभकारी है। इससे पैदावार बढ़ेगी। पैदावार बढ़ने से किसानों के हाथों में ज्यादा पैसे आएंगे। किसान खुशहाल होंगे तो ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ेगी तो देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। अर्थव्यवस्था की चाल बहुत हद तक ग्रामीण क्षेत्र की मांग पर निर्भर करती है।

यह बरसात आमतौर पर सूखे का सामना करने वाले क्षेत्रों के लिए वरदान के समान है। इससे जलाशयों में पानी की मात्रा बढ़ेगी, भूजल का स्तर बढ़ेगा, जिससे देश के कई क्षेत्रों में लोगों को पानी के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

हालांकि, ज्यादा बरसात से गर्मी के मौसम में बोए जाने वाली फसलों को नुकसान भी पहुंचा है। कपास, सोयाबीन और दाल की फसलें पक कर लगभग तैयार हैं ऐसे में ज्यादा बरसात से उनके उत्पादन पर असर पड़ेगा।

मानसून की बारिश का 25 साल का टूटा रिकार्ड

– मौसम विभाग ने जारी किया चालू मानसून के बारिश का आंकड़ा- दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ फिर भी चढ़ गये सूखे की भेंट – वर्ष 1961 के बाद मानसून की 10 अक्टूबर को होगी विदाई

चालू मानसून सीजन में बारिश का पच्चीस साल का रिकार्ड टूटा और बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश अभी भी जहां इसका प्रकोप झेल रहे हैं, वहीं देश का एक बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में रहा। मौसम विभाग के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1994 के बाद पहली बार इतनी बारिश हुई है।

देशभर में मानसून की सक्रियता

मौसम विभाग ने चालू मानसून सीजन की विदाई से ठीक पहले का पूर्वानुमान जारी किया है। देशभर में मानसून की सक्रियता और उसके बनते बिगड़ते मिजाज का एक संक्षिप्त ब्यौरा भी दिया है। उसके मुताबिक वर्ष 1994 के बाद इस बार देशभर में मानसून सामान्य से 110 फीसद बरसा है, जो एक रिकार्ड है।

मानसून वर्ष 1961 के रिकार्ड को तोड़ते हुए 10 अक्तूबर को लौटेगा। पूर्वोत्तर भारत में 2001-2019 के दौरान सामान्य से कम बरसात हुई है। चालू मानसून सीजन के अगस्त माह में देशभर में सामान्य से 115 फीसद बरसात हुई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 के सितंबर माह में लांग पीरियड एवरेज (एलपीए) बारिश 165 फीसद रही, जबकि 1917 में यह 152 फीसद दर्ज किया गया था।

सामान्य से अधिक बारिश

वर्ष 2010 के बाद पहली बार जुलाई से सितंबर के बीच हर महीने सामान्य से अधिक बारिश हुई है। इतना ही नहीं, चालू सीजन में अगस्त व सितंबर में 130 फीसद बरसात रिकार्ड की गई, जो वर्ष 1983 के बाद हुई है। मौसम विभाग के जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू मानसून सीजन 2019 में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।

देश के कुल 36 मेट्रोलॉजिकल सब डिवीजनों में से दो में अत्यधिक बरसात हुई है। जबकि 10 सब डिवीजनों में अधिक और 19 सबस डिवीजनों में मानसून की सामान्य बारिश हुई। इन 36 सब डिवीजनों में से पांच ऐसे सब डिवीजन रहे जहां बारिश कम हुई और सूखे जैसी स्थिति पैदा हुई।

दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ सूखे की भेंट में

हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ में सामान्य से 42 फीसद कम बरसात हुई है। सूखे जैसी हालत से पस्त हुए इन पांच सब डिवीजनों का क्षेत्रफल देश का 15 फीसद हैं। हालांकि सामान्य तौर पर देश के 20 फीसद क्षेत्र में औसत से कम बरसात हुई है। मानसून इस बार आठ जून को केरल तट पर पहुंचा, लेकिन पूरे महीने छकाता रहा, जिससे 33 फीसद कम बरसात हुई। चालू मानसून सीजन इस बार 10 अक्टूबर को लौटेगा, जो सामान्य तौर पर एक सितंबर को लौटता है। वर्ष 1961 में मानसून पहली बार एक अक्टूबर को लौटा था, जबकि 2007 में 30 सितंबर को लौटा।

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