नहीं चेते तो कटोरा लेने की आएगी नौबत – पाकिस्तानी कारोबारियों की दो टूक
लगता है कि देश की आर्थिक बदहाली सुधारने के वादे के साथ सत्ता में आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी तरह विफल हो गए हैं। देश के आर्थिक हालात दिनों दिन चिंताजनक होते जा रहे हैं। इसे देखते हुए पाकिस्तानी कारोबारियों ने सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा गुरुवार को मुलाकात की और देश के आर्थिक हालात पर चिंता जताते हुए सरकार द्वारा उचित कदम नहीं उठाए जाने की शिकायत की। इस बैठक के बाद पाकिस्तानी मीडिया में माहौल गरमाने लगा है। वहीं इमरान खान कारोबारियों को आश्वासनों की घुट्टी पिला रहे हैं। इससे एक बात तो साफ हो गई है कि पाकिस्तानी कारोबारियों का भरोसा भी इमरान खान की सरकार से उठने लगा है। ऐसे में इमरान खान की सरकार कितने दिन की मेहमान है, इस बारे में भी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
इमरान खान ने दिलाया भरोसा लेकिन कारोबारी नाराज
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा है कि इमरान खान ने भी कारोबारियों के साथ दो बैठकें की और उन्हें भरोसा दिलाया है कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (National Accountability Bureau, NAB) को लेकर की जा रही चिंताओं को दूर करने के लिए भावी कदम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बता दें कि इन दिनों पाकिसतानी एजेंसी एनएबी भ्रष्टाचार के नाम पर करोबारियों के खिलाफ तेजी से केस दर्ज कर रही है। वहीं कारोबारियों ने सेना प्रमुख से शिकायत की है कि सरकार ने जुबानी भरोसा दिलाने के अलावा कोई कदम नहीं उठाया है। आलम यह है कि एक एक करके उनके कारखाने बंद होते चले जा रहे हैं।
कारोबारियों ने चेताया, कटोरा लेने की आ जाएगी नौबत
16 से 20 कारोबारियों की टीम ने बाजवा से साफ कह दिया है कि उन्हें सरकार की ओर से उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही है। यदि तत्काल राहत के कदम नहीं उठाए गए, तो उनका पूरा कारोबार चौपट हो जाएगा और ढेरों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सेना की ओर से बताया गया है कि बाजवा ने कारोबारियों की मदद का भरोसा दिया है। बाजवा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। बता दें कि सेना प्रमुख बाजवा पाकिस्तान के लिए लंबी अवधि की आर्थिक योजनाएं बनाने के लिए जुलाई में गठित नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल के सदस्य भी हैं।
और बढ़ेगी सेना की दखलंदाजी
पाकिस्तानी आर्मी चीफ बाजवा ने कारोबारियों को भरोसा दिलाया कि वह हालात सही करने के लिए जल्द ठोस फैसले किए जाएंगे। बाजवा ने कारोबारियों की शिकायतों पर कदम उठाने के लिए एक इंटर्नल कमेटी के गठन का भी विचार रखा है। इसमें सैन्य अधिकारी भी शामिल होंगे। इससे साफ है कि आने वाले वक्त में प्रशासन में सेना का दबदबा और बढ़ने वाला है। वैसे भी पाकिस्तान में सेना के शासन का लंबा इतिहास रहा है। बीते 70 वर्षों में वहां आधे से ज्यादा समय तक पाकिस्तान की सत्ता सेना के हाथ में रही है। हालांकि, कारोबारियों का सेना प्रमुख बाजवा के दर पर जाकर गुहार लगाना भी यह बताता है कि इमरान खान देश के प्रधानमंत्री भले ही हों लेकिन अभी भी असल सत्ता किसी और के हाथ में है।
कैसे थमेगी थरथराती अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की आर्थिक सेहत इस कदर खराब चल रही है कि सेना भी इसकी चपेट में आ गई है। दशकों बाद पहली बार वित्त वर्ष 2019-20 में सेना के बजट को फ्रीज कर दिया गया है। सरकार ने मंत्रालयों और विभागों को नए वाहनों की खरीद पर रोक लगा दी है। सरकारी कर्मचारियों को सख्त निर्देश है कि वे अपनी संपत्ति का ब्यौरा सरकार को उपलब्ध कराएं। एनएबी लगातार कारोबारियों को उठाकर पूछताछ कर रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 3.29 फीसद रही जबकि बजट में 6.2 फीसद का लक्ष्य रखा गया था। इमरान खान विश्व संस्थाओं से कर्ज लेकर पुरानी उधारी चुकता करने के लीक पर चल रहे हैं। जुलाई में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने पाकिस्तान को छह अरब डॉलर (करीब 42 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज मंजूर किया था।
सेना की दखलंदाजी की खबरों पर यह दी सफाई
सरकार के काम-काज में सेना की दखलंदाजी की रिपोर्टें भी सामने आ रही हैं। पाकिस्तान में सिटीग्रुप इंक के पूर्व बैंकर यूसुफ नजर ने कहा कि वित्त मंत्रालय के कामकाज में सेना की दखलंदाजी चिंताजनक है। सेना के काम का तरीका देश की अर्थव्यवस्था की सेहत लिए ठीक नहीं है। वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि इमरान खान को अनुभव कम है, इसलिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सेना की दखलंदाजी पाकिस्तान के लिए ठीक है। यही नहीं पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि पाकिस्तानी फौज देश की अर्थव्यवस्था और सरकार के कामकाज में कोई दखलंदाजी नहीं कर रही है। वित्त मंत्रालय स्वतंत्र और सेना दोनों अपना अपना काम कर रहे हैं। सेना की नीतियों ने सरकार के काम-काज को प्रभावित नहीं किया है।