मनमोहन सिंह और रघुराम राजन के दौर में सबसे खराब थी पब्लिक सेक्टर बैंकों की हालत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के समय में ‘सबसे बुरे दौर में’ थी। कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में मंगलवार को एक लेक्चर में सीतारमण ने कहा कि सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ‘जीवन रेखा’ देना उनका पहला काम है। उन्होंने कहा कि मैं रघुराम राजन का सम्मान करती हूं, वे अर्थशास्त्र के अच्छे जानकार रहे हैं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी तब उन्हें भारत के केन्द्रीय बैंक के लिए चुना गया था।
ब्राउन विश्वविद्यालय में हाल ही में रघुराम राजन द्वारा दिए गए एक बयान के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि राजन के आरबीआई गवर्नर रहने के दौरान बैंक का कर्ज सबसे ज्यादा था। दरअसल, अपने लेक्चर में राजन ने कहा था कि अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था पर बेहतर काम नहीं किया था, उन्होंने कहा था कि सरकार ज्यादा सेंट्रलाइज्ड थी और नेतृत्व के पास अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए कोई विजन नहीं था।
वित्त मंत्री ने कहा कि राजन के गवर्नर रहने के दौरान कि भारत में नेताओं और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक फोन कॉल के आधार पर कर्ज दे दिए जाते थे, जिसकी वजह से सरकार आज तक उससे बाहर नहीं निकल पाई है। सीतारमण ने कहा कि मैं मनमोहन सिंह और रघुराम राजन का पूरा सम्मान करती हूं, लेकिन यह सच है कि दोनों के समय में पब्लिक सेक्टर बैंकों की हालत सबसे खराब रही थी। सीतारमण ने कहा कि वह इस बात की आभारी हैं कि राजन ने परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की, लेकिन लोगों को पता होना चाहिए कि आज बैंकों को क्या फायदा होता है।
इस कार्यक्रम में पूर्व नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनागरिया, प्रोफेसर और प्रख्यात अर्थशास्त्री जगदीश भगवती और न्यूयॉर्क में भारत के महा वाणिज्यदूत संदीप चक्रवर्ती भी उपस्थित थे।