कूचबिहार में भाजपा व तृणमूल के बीच संघर्ष,कई कार्यकर्ता घायल
पंचायत चुनाव व लोकसभा चुनाव के बाद कूचबिहार जिले में राजनीतिक संघर्ष की घटना कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार को जिले के तूफानगंज महकमा का चिलखाना इलाका तृणमूल व भाजपा के बीच संघर्ष में रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। इस घटना से उत्तेजित व्यवसायियों ने चिलखाना 31 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर विरोध प्रदर्शन करने लगे। बाद में उनके साथ प्रदर्शन में भाजपा समर्थक भी शामिल हो गए।
घटना की खबर मिलते ही तूफानगंज थाना काफी संख्या में पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंची। जिसके बाद आंदोलनकारियों ने पुलिस को देखकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। आरोप है कि अंत में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। जिसमें कई लोग घायल हो गए। स्थिति नियंत्रण के बाद इलाके में पुलिस की गस्त जारी है।
सुबह कूचबिहार के तूफानगंज एक नंबर ब्लाक के चिलखाना में तृणमूल कांग्रेस की ओर से एक बाइक जुलूस निकाला गया। जुलूस के बीच तृणमूल समर्थकों ने भाजपा कार्यालय में तोडफ़ोड़ के साथ स्थानीय कई दुकानों में भी तोडफ़ोड़ किया। इसे आतंकित होकर स्थानीय चिलखाना बाजार के व्यवसायियों ने दुकानों को बंद कर दिया और सड़क जाम में शामिल हो गए।
तूफानगंज एक नंबर ब्लाक के भाजपा नेता पुष्पेन सरकार ने कहा कि तृणमूल के समर्थित बदमाशों ने भाजपा कार्यालय में तोड़फोड़ की। तृणमूल इलाके में शांति व्यवस्था को भंग करना चाहती है।
वही दूसरी ओर, तृणमूल नेता एदादुल हक ने बताया कि तृणमूल समर्थकों ने नहीं, बल्कि भाजपा समर्थकों ने पहले हमला किया। हमलोग देख रहे हैं कि भाजपा अपने संगठन को बढ़ाने के लिए गांव गांव में अपना आतंक फैला रही है।
बीरभूम में तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों में भीषण संघर्ष
वहीं, बीरभूम जिले के बोलपुर में बुधवार रात तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों में भीषण संघर्ष हो गया। दोनों ओर से जमकर बमबाजी तथा मारपीट की गई। इस घटना में कई लोग जख्मी हो गए। इनमें से दो की हालत गंभीर है, जिन्हें बोलपुर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस संघर्ष के दौरान कई मकानों में तोड़फोड़ की गई। इलाके में पुलिस बल तैनात किया गया है।
भाजपा सांसद राजू सिंह बिष्ट के काफिले पर हमला
भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजू सिंह बिष्ट के काफिले पर कालिम्पोंग जिले के चारकोल मंदिर के समीप मंगलवार की दोपहर लगभग साढ़े 12 बजे पथराव करने के साथ ही साथ जानलेवा हमला किया गया।
जिसमें सुरक्षा गार्ड समेत सांसद के पीएसओ चोटिल हो गए। इतना ही नहीं हमला करने वालों ने उन्हें काले झंडे भी दिखाए। सबसे पहले हमलावरों ने सांसद के काफिले में शामिल बाइक और स्कूटी सवार लोगों की गाड़ियों में लगे बीजेपी के झंडे नोंचकर इधर-उधर फेंकने लगे। एक स्कूटी सड़क किनारे गिरी पड़ी मिली।
इस मामले में सांसद ने विनय तामांग खेमे के कालिम्पोंग जिला समिति के अध्यक्ष संचाबीर सुब्बा समेत 40 लोगों को नामजद करते हुए 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
सांसद ने बताया सिंजी प्राइमरी स्कूल के नए भवन का उद्घाटन करने के लिए बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था, मैं स्कूल जा रहा था कि इसी दौरान रास्ते चारकोल मंदिर के पास लगभग 100 हमलावरों ने मेरे काफिले पर पथराव शुरू कर दिया। सुरक्षा वश मैं अपनी कार की अगली सीट से उठकर पिछली सीट पर बैठ गया। सांसद की माने तो हमला करने वाले विनय तामांग खेमे के लोग हैं।
उन्होंने बताया कि इससे पूर्व ही मैंने बंगाल सरकार के डीजीपी, गृह सचिव और कालिम्पोंग के एसपी को पत्र प्रेषित कर हमला किए जाने के बारे में अपनी शंका प्रकट करते हुए पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने का आग्रह किया था, लेकिन अधिकारियों ने मेरे पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया, यदि अधिकारियों कोई सक्रिय कदम उठाया होता तो यह घटना नहीं घटती, और तो और मौके पर मौजूद पुलिस मूक दर्शक बनी रही, उसने हमला करने वालों पर नियंत्रण पाने का कोई प्रयास नहीं किया। मैंने अपने काफिले को घटना स्थल से एक किलोमीटर दूर ही रोक लिया, कारण मेरे मौजूद रहने से मामला काफी बढ़ सकता था।
युवा सांसद ने इस घटना को अटेम्प्ट टू मर्डर करार देते हुए पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए ,पूर्व में सूचना दिए जाने के बाद भी केवल गिने चुने कुछ पुलिस कर्मी ही क्यों भेजे गए? घटना की निंदा करते हुए उन्होंने कहाकि जीटीए-टू पहाड़ को अशांत करने में लगा है। इतना ही नहीं कार्यक्रम में भाग लेने जा रही कालिम्पोंग की विधायक सरिता राई को भी हमलावरों के विरोध के कारण लौट जाना पड़ा।
निंदा करने के कारण मोर्चा के निशाने पर थे सांसद
जनचर्चाओं के अनुसार बताया जाता है कि पिछले दिनों जब विनय तामांग चाय बागान के श्रमिकों को बोनस दिलाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे तो बीजेपी सांसद ने उनकी कटु आलोचना की थी, जिसका विनय तामांग और उनके खेमे के लोगों ने जमकर निंदा की थी, इस घटना को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है, यदि उन्होंने विनय तामांग की आलोचना नहीं की होती तो शायद मोर्चा के लोग उनके ऊपर हमला नहीं करते।