राजस्थान सरकार चाहती है कि कक्षा नौ से 12वीं तक की लड़कियों को मिले मिड डे मील
राजस्थान सरकार चाहती है कि कक्षा नौ से बारह तक की छात्राओं को भी मिड डे मील योजना से जोड़ा जाए, ताकि किशोरवय छात्राओं को बेहतर पोषण मिल सके। इस बारे में राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा है।
राजस्थान में अभी सर्व शिक्षा अभियान के तहत 66 हजार से ज्यादा स्कूलों में मिड डे मील दिया जाता है। इसके तहत सरकार बच्चों को प्रतिदिन एक स्कूल दूध और भोजन देती है। यह योजना अभी कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए ही उपलब्ध है। अब यहां की सरकार ने इस योजना को कक्षा 12 तक की छात्राओं के लिए लागू करने का मन बनाया है, लेकिन इसमें सबसे बडी समस्या बजट की है।
मिड डे मील पर खर्च होने वाली राशि में से 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार खर्च करती है, जबकि 40 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करनी पडती है। ऐसे में राज्य सरकार अपने स्तर पर इस योजना का विस्तार नहीं कर सकती। यही कारण है कि सरकार ने इस वर्ष जून में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रुवल बोर्ड को इस बारे में प्रस्ताव भेजा था।
प्रस्ताव में कहा गया था कि किशोरवय लड़कियों को पोषण की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है और हमारी सामाजिक व्यवस्था ऐसी है, जिसमें आज भी लड़को और लड़कियों की खुराक में फर्क कर दिया जाता है। ऐसे में सरकार की ओर से कक्षा 12 तक की छात्राओं को मिड डे मील के जरिए पोषक तत्व दिए जा सकते है। इस प्रस्ताव को भेजने के बाद सरकार के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा दिल्ली में शिक्षा मंत्रियों की एक बैठक में भी यह मामला उठा चुके है।
इस बैठक में भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि 12वीं तक की छात्राओं को पोषण की बहुत जरूरत होती है, इसलिए सरकार को 12वीं तक की छात्राओं के लिए मिड डे मील की व्यवस्था करनी चाहिए और इस योजना का विस्तार किया जाना चाहिए। इस मामले में राजस्थान सरकार को अभी केन्द्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है। शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि केंद्र की मंजूरी मिल जाए तो सरकार तुरंत मिड डे मील योजना का विस्तार कर देगी।