आज है देवउठान एकादशी इस दिन करवाया जाता है तुलसी का विवाह, जानें विधि
इस बार आज (शुक्रवार) के दिन देवउठान एकादशी है। इस दिन तुलसी विवाह कराने की परंपरा है। आज तुलसी के पौधे का श्रृंगार दुल्हन की तरह8 किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने से भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह करवाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। चलिए तो हम आपको बतातें है कैसे करें इसकी तैयारी और विवाह का शुभ महुर्त कब है।
तुलसी विवाह का मुहूर्त
तुलसी विवाह के यानी की द्वादशी तिथि का प्रारंभ 8 नवंबर (शुक्रवार) से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से 9 नवबंर दोपहर 2 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
इस तरह करें तुलसी का विवाह
सबसे पहले तुलसी विवाह के लिए पौधे को खुली जगह पर रखें। विवाह के लिए मंडप सजाएं। फिर तुलसी जी को लाल चुनरी ओढाएं। यदि आप चाहें तो तुलसी के पौधे को साड़ी पहनाकर भी तैयार कर सकते हैं। साथ ही पूरे श्रृंगार की चीजें उन्हें अर्पित करें। इतना करने के बाद आपको भगवान विष्णु के स्वरुप यानी की शालिग्राम को रखें और फिर उसपर तिल चढ़ाएं। अब शालिग्राम और तुलसी जी को दूध और हल्दी चढ़ाएं।
हालांकि, इस बात का ध्यान रखें की तुलसी जी को शालिग्राम भगवान के बाई तरफ ही बैठाएं। इस दौरान तुलसी माता को नारियल भी आर्पित करें। अब भगवान शालिग्राम का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी के पौधे के चारों तरफ सात फरे लें। आखिर में दोनों की आरती उतारें और विवाह संपन्न करें।
कन्यादान के बराबर मिलता है पुण्य
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के दिन जो भी तुलसी का विवाह करवाता है और कन्यादान करता है उसे वेटी के जितना कन्यादान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन सुहागनों को ये विवाद जरुर करवाना चाहिए। ऐसे करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ती होती है।
क्यों किया जाता है तुलसी विवाह
तुलसी को वृंदा नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, तुलसी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था। जिस वजह से वो काले पड़ गए थे। तभी से शालीग्राम रुप में उन्हे तुलसी के चरणों में रखा जाता है। तभी से भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी मनुष्य देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करवाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।