श्री सांईबाबा ने जब दिया कुलकर्णी को ज्ञान
श्री सांईबाबा अपने श्रद्धालुओं का सदा ध्यान रखते हैं। श्री सांई से जुड़े प्रेरक प्रसंग भी इस बात की ओर ईशारा करते हैं कि बाबा सदैव अपने भक्तों का ध्यान रखा करते थे। बाबा अपने भक्तों की बात पर बच्चों की तरह मुस्कुरा दिया करते थे और कभी माता की तरह वात्सल्य भी दिया करते थे। बाबा से जुड़े न जाने कितने प्रसंग हैं। जो कि आज भी श्रद्धालुओं को प्रेरणा देते हैं। श्रद्धालुओं को बाबा में राम, कृष्ण, ब्रह्मा, शिव, विष्णु, विट्ठल, पांडुरंग सभी देवी – देवताओं के दर्शन हो जाते थे।
श्रद्धालु बाबा में अपने इष्ट के दर्शन पाकर स्वयं को धन्य मानते थे। आज भी श्रद्धालुओं को इस तरह के अनुभव हो जाया करते हैं। बाबा से जुड़ा एक प्रसंग बहुत ही प्रेरक है। शिरडी में श्री सांईबाबा के आने के बाद श्रद्धालु अपनी परेशानियों के लिए श्री सांई के पास द्वारकामाई जाने लगे और बाबा अपने श्रद्धालुओं को पे्ररक समाधान देते थे। ऐसे में गांव में निवास करने वाले ज्योतिष कुलकर्णी को यह सब नागवार गुजरता, दरअसल कुलकर्णी भोले – भाले ग्रामीणों को अपने ज्योतिष के जाल में फांसता और उन्हें सच बताने की बजाया लंबी प्रक्रियाओं में उलझाता जिससे वे अधिक से अधिक दान दें।
ऐसे में वह श्री सांई से अचानक चिढ़ता था। बाबा उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते। मगर बाद में श्री सांई के चमत्कारों का असर देखकर वह बाबा का भक्त हो गया और बाबा से क्षमा याचना करने लगा। उसने बाबा के सम्मान में एक भोज रखा, जिसमें गांव वालों को निमंत्रित किया। मगर वहां जब एक निर्धन व्यक्ति आया तो उसने उसे भिखारी कहकर धक्के मारे और निकाल दिया। जब दिनभर के बाद भी बाबा नहीं पहुंचे तो वह द्वारकामाई पहुंचा और श्री सांई के न आने का कारण जानना चाहा। ऐसे में बाबा ने उसे निर्धन को भगाने की याद दिलाई। तब उसे याद आया कि वह निर्धन व्यक्ति कोई और नहीं बाबा ही थे। तब उसने श्री सांई के चरणों में क्षमा याचना की और सीख लेकर उन्हें नमस्कार किया।