पूर्वांचल में मौसम का रुख अब पूरी तरह से बदलने की ओर, जानिए कैसा रहेगा आने वाले सप्‍ताह में मौसम का हाल

पूर्वांचल में मौसम का रुख अब पूरी तरह से बदलने की ओर है, पश्चिम से अाने वाली ठंडी हवाओं ने सीजन में पहली बार पारा 13 डिग्री पर ला दिया है। मौसम विज्ञानियों के अनुसा जम्मू-कश्मीर से आ रही बर्फीली हवा के कारण ही गुरुवार से न्यूनतम पारे में गिरावट हुई और 13 डिग्री सेल्सियस तक आ पहुंचा। लगातार पारे में आ रही गिरावट के कारण पूर्वांचल में ठंड भी लगातार बढ़ रही है। इस तरह बीते चौबीस घंटों में यह इस सीजन में सबसे कम तापमान रहा है।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार आने वाले दो-तीन दिनों में तापमान और भी तेजी से गिरेगा और दिसंबर माह की शुरुआत के साथ ही पारा दस डिग्री के आस आस आ जाएगा। शुक्रवार को भी मौसम सुबह ठंड की कैद में रहा तो लोगों ने भी गर्म कपड़ों में ही बाहर निकलना मुनासिब समझा। जबकि दिन चढ़ने के साथ ही पारे में इजाफा हुआ तो लोगों ने गुनगुनी धूप भी सेंकी। कुछ क्षेत्रों में सुबह कोहरा भी दिखा मगर दिन चढ़ने के साथ ही कोहरे का असर कम होता गया।

मौसम ने बदला तेवर

मौसम विज्ञानियों के अनुसार इस समय कोल्ड फ्रंट पूर्वांचल से पास हो रहा है। इसके कारण पछुआ हवा के साथ ठंडी हवाओं की सक्रियता भी आ रही है। यही वजह है कि पूर्वांचल में लगातार पारा गिर रहा है। दो दिन पहले बुधवार को भी अधिकतम तापमान 28.0 डिग्री सेल्सियस था तो दूसरे दिन मामूली सुधार के साथ 28.2 डिग्री हो गया। वहीं मंगलवार की रात को जहां न्यूनतम तापमान 14.6 डिग्री पर था वहीं बुधवार की रात को 13.2 डिग्री पर आ गया।

मौसम का मिजाज

इस प्रकार अधिकतम तापमान जहां एक सामान्‍य से एक डिग्री कम दर्ज किया गया वहीं न्‍यूनतम पारा दो डिग्री तक दर्ज किया गया। जबकि आर्द्रता इस दौरान अधिकतम 86 और न्‍यूनतम 53 फीसद दर्ज किया गया। मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय ने बताया कि कोल्ड फ्रंट के पीछे-पीछे बेहद ही ठंडी हवा रही है। इसी के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। कुछ दिनों में पारा और गिरेगा। मौसम विभाग की ओर से सप्‍ताह भर के जारी अनुमान के अनुसार तापमान 12 डिग्री तक इसी सप्‍ताह में जाने की संभावना है। वहीं सैटेलाइट तस्‍वीरों में जम्‍मू कश्‍मीर और लददाख में ठंडी हवाओं और बादलों का रुख है जिसके उत्‍तर प्रदेश तक पहुंचने से ठंड का व्‍यापक असर अाने की उम्‍मीद है। हालांकि यहां तक पहुंचते पहुंचते असर कम होने की पूरी संभावना है।

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