शिवाजी पार्क, से जुड़ी हुई ठाकरे परिवार की कई यादें, शिवसेना की राजनीति का रहा है केंद्र
मुंबई का शिवाजी पार्क शिवसेना के लिए एक बार फिर खास होने वाला है। यहीं पर महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में आज शपथ लेने वाले हैं। इसके लिए सभी तैयारियां हो चुकी हैं। यह शपथ ग्रहण समारोह शाम 6:40 मिनट पर शुरू होगा। आम लोगों के साथ-साथ खास लोगों को भी इस शपथ समारोह में शामिल होने के लिए न्योता भेजा जा चुका है। वीआईपी की मौजूदगी को देखते हुए पूरे शिवाजी पार्क में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया गया है। शिवसेना के लिए यह महज एक पार्क ही नहीं है बल्कि इससे भी कहीं ज्यादा है। यहां से शिव सैनिकों का गहरा लगाव भी है। आपको बता दें कि दादर स्थित यह पार्क करीब पचास वर्षों से शिवसेना की राजनीति के केंद्र में रहा है।
बाला साहब की पहली रैली का गवाह
यहीं पर शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे ने 1966 में पहली रैली की थी। इतना ही नहीं यही पार्क बाला साहब ठाकरे के अंतिम संस्कार का भी गवाह रहा था। इस पार्क को लेकर कुछ समय तक विवाद भी रहा था। दरअसल, शिवसेना चाहती थी कि इस पार्क को बाल ठाकरे का स्मारक बना दिया जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद ही यह मामला कहीं शांत हुआ था।
यह पार्क शिवसेना के लिए कितना खास है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब राज्य में पहली बार 1995 में शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर मनोहर जोशी के नेतृत्व में सरकार बनाई थी तब बाला साहब ने उनके शपथ ग्रहण के लिए इसी पार्क को चुना था। बाला साहब यहीं पर रैली कर चुनाव अभियान की शुरुआत करते थे। अब यही पार्क ठाकरे परिवार में राजनीति को लेकर खुले एक नए अध्याय का भी गवाह बनने वाला है।
सीएम बनने वाले परिवार के पहले सदस्य हैं उद्धव
आपको यहां पर ये भी बता दें कि उद्धव ठाकरे इस परिवार से राजनीति के रास्ते पर चलकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने वाले पहले सदस्य हैं। जानकार मानते हैं कि ठाकरे परिवार और शिवसेना की नीति में आया ये बदलाव कई मायनों में खास है।
28 एकड़ में फैला है पार्क
गौरतलब है कि 1925 में इस पार्क को दादर में करीब 28 एकड़ में बनाया गया था। 1927 में छत्रपति शिवाजी की जयंती पर इसका नाम शिवाजी पार्क रखा गया। इस मैदान में कई तरह के खेलों का भी आयोजन होता आया है। सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली यहां पर ही खेलकर बड़े हुए हैं।
दशकों पुराना छोड़ा साथ
शिवसेना की राजनीति की बात करें तो भाजपा से तीन दशकों का साथ छोड़कर वह दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर रही है। शिवसेना ने 1971 में कांग्रेस से अलग होकर बने इंदिरा गांधी विरोधी गुट कांग्रेस (ओ) के साथ गठबंधन किया था, लेकिन उसका कोई प्रत्याशी जीत नहीं सका था। इतना ही नहीं 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का बाला साहब ने समर्थन किया था। बाल ठाकरे ने 1977 के चुनाव में कांग्रेस का सहयोग भी किया था।1979 में बाल ठाकरे ने बीएमसी चुनाव के लिए इंडियन मुस्लिम लीग के नेता गुलाम मोहम्मत बनातवाला से समझौता किया था।