राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मनमोहन को मिली नई जिन्दगी

बाराबंकी । जन्मजात हृदय रोग CV की समस्या से पीड़ित 12 वर्षीय मनमोहन के जीवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे खुशियों की नई बयार लेकर आया है। बालक मनमोहन जन्म से ही हृदय रोग से ग्रस्त रहा था। पिता माताधारा मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर थी, ऐसे में पिता इलाज में आने वाले खर्च की बात सोचकर ही मायूस हो जाया करते।

बालक मनमोहन जैसे-जैसे बड़ा होता जा रहा था, पिता उसी अनुपात में लाचारी का बोझ अपने ह्रदय पर महसूस कर रहे थे। पिता ने जैतनपुर गाँव के प्राथमिक विद्यालय बाझपुर में उसका दाखिला करवा दिया। समय बीतने के साथ ही बालक मनमोहन पहली कक्षा उत्तीर्ण कर पांचवीं कक्षा में पहुँच गया, लेकिन पिता को अपने बच्चे को तकलीफ से जूझते देख आँखे भर आतीं। ईलाज नहीं करवा पाने की हताशा उन्हें खाए जा रही थी।

इसी बीच एक दिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम बच्चों के स्वास्थ्य परिक्षण के लिए बालक के विद्यालय पहुंची। यहाँ स्वास्थ्य परिक्षण के दौरान टीम को बालक मनमोहन की समस्या के बारे में पता लगा। टीम ने तुरंत उसका रैफर कार्ड बनाया । बाद कार्यक्रम के तहत बच्चे के माता झ्र पिता को नि:शुल्क सरकारी योजना के बारे में जानकारी देकर उनको आस्वस्थ किया गया। सर्जरी के लिए अलीगढ़ मेडिकल कालेज रैफर कर दिया गया। आपरेशन सफल होते ही बालक के परिवारजनो के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी।

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ये सुनकर ही उनके भीतर की तमाम हताशा पल भर में आशा के नवीन उजास में तब्दील हो गई, उन्हें लगा जैसे ह्रदय से वर्षों पुराना बोझ उतर गया हो। गत 4 नवम्बर को बालक को अस्पताल में भर्ती कर ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन सफल रहा और बालक मनमोहन को जन्मजात तकलीफ से निजात मिली। पिता माताधारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को खूब दुआएं दे रहे हैं, जिसकी बदौलत उनका पुत्र अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।

डीआईसी मैनेजर अवधेश कुमार सिंह ने बताया चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चों का उपचार किया जाता है। आरबीएसके की मोबाइल हैल्थ टीम विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों और शिक्षण संस्थानों पर जाकर लगभग 38 बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के उपचार में मदद करती है। बताया कि आरबीएसके के तहत पीड़ित बालक के सर्जरी में करीब 7 लाख का खर्चा हुआ है।

मोबाईल हैल्थ टीम बच्चों की जांच कर उस अनुरूप की जाने वाली चिकित्सा हेतु बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कोलेज रेफर करती है। वहां इन बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाता है। बच्चों में जन्मजात हृदय रोग के अलावा कार्यक्रम में कटे होंठ व तालू, मुड़े हुए पैर, कान बहने और मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है। इसके अलावा कमजोर नेत्र दृष्टि वाले बच्चों के चश्मे भी बनाए जाते हैं।

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