मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिलने की संभावना, मिल सकती है Income Tax में कटौती की सौगात!

लंबे समय से आयकर में छूट का इंतजार कर रहे करदाताओं को आगामी बजट में खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में इस बात की घोषणा कर सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक फरवरी में पेश होने वाले बजट में कम और मध्यम आय वाले वेतनभोगियों के लिए राहत का ऐलान करते हुए सरकार व्यक्तिगत आयकर की दर में बदलाव कर सकती है। 

पांच लाख से अधिक आय वालों को फायदा

सूत्रों के मुताबिक सरकार अगले वर्ष के बजट में 2.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच की आय पर टैक्स रेट को 10 फीसद रख सकती है। इसके साथ ही 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये की आय वालों के लिए कर की दर को घटाकर 20 फीसद किया जा सकता है। हालांकि, कर से छूट की सीमा में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद कम है। अभी ढाई लाख रुपये की सालाना आय पर किसी तरह का आयकर देय नहीं होता है।

मध्यम वर्ग को राहत देने की योजना

ऐसा माना जा रहा है कि आयकर की दर में बदलाव से वेतनभोगी मध्यम आय वर्ग को राहत मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाये गए कदमों का कोई खास लाभ इस वर्ग को नहीं मिला है। इससे पहले सितंबर में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में भारी कमी का फैसला किया था। 

सूत्रों के मुताबिक नये प्रत्यक्ष कर संहिता को लेकर गठित कार्यबल की सिफारिशों के मुताबिक भी व्यक्तिगत आयकर में छूट की योजना पर काम किया जा रहा है। कार्यबल ने इस साल अगस्त में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। वित्त मंत्रालय इस रिपोर्ट पर विचार कर रहा है।  

अभी इतना देना होता है आयकर 

वर्तमान में सालाना 2.5 लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक की आय पर पांच फीसद का आयकर देना होता है। हर साल 5-10 लाख रुपये तक की आय वालों को 20 फीसद की दर से आयकर देना होता है। वहीं, 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद का कर देने का प्रावधान है। वहीं एक करोड़ रुपये, दो करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये की आय वालों को सरचार्ज भी देना होता है। 

आयकर स्लैब में प्रस्तावित बदलावों से मध्यम आय वर्ग वाले बड़े वर्ग को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर दाखिल करने वाले 5.52 करोड़ आयकर दाताओं में से 27 फीसद की आय पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच थी। यदि कार्यबल की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इन 1.47 करोड़ करदाताओं को 20 फीसद की बजाय महज 10 फीसद आयकर देना होगा। 

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