लखनऊ, जेएनएन। वायु प्रदूषण (Air Pollution) के बढ़ते दुष्प्रभावों को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में जिगजैग तकनीक पर संचालित ईंट-भट्ठे भी अब नहीं चल सकेंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एनसीआर में सभी प्रकार के ईंट-भट्ठों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसी प्रतिबंध के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एनसीआर के आठ जिलों गाजियाबाद, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर व शामली को एनजीटी के आदेशों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं।
एनसीआर में शामिल यूपी के आठ जिलों में कुल दो हजार ईंट-भट्ठे हैं। इनमें से एक हजार जिगजैग तकनीक पर आधारित हैं। एनसीआर में पहले केवल जिगजैग तकनीक वाले भट्ठों के ही संचालन की अनुमति थी। एनजीटी ने बीते 15 नवंबर को एक आदेश कर एनसीआर में सभी प्रकार के ईट-भट्ठों को बंद करने के आदेश दिए हैं। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जिगजैग तकनीक पर संचालित भट्ठे पर्यावरण पर क्या प्रभाव डाल रहे हैं, इस पर वैज्ञानिक अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने भी तीन दिसंबर को एनजीटी के आदेशों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने आठों जिलों के डीएम को यह जिम्मेदारी सौंपी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्किल-एक के मुख्य पर्यावरण अधिकारी अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि एनजीटी के आदेश सभी डीएम को मुहैया करा दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी ने बताया कि एनसीआर में एनजीटी ने अब सभी प्रकार के ईंट-भट्ठों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में अब वहां अगले आदेशों तक कोई भी भट्ठा नहीं चल सकेगा। बाकी किसी भी जिले में भट्ठों के संचालन में कोई प्रतिबंध नहीं है।
क्या है जिगजैग तकनीक
ईंट पकाने के लिए भट्ठों में आमतौर पर छल्लियों में सीधी हवा दी जाती है। जिगजैग में टेढ़ी-मेढ़ी लाइन बनाकर हवा दी जाती है। इससे ईंट पकाने में ईंधन कम लगता है। कोयले की कम खपत होने से इसमें प्रदूषण भी कम होने का दावा किया जाता है। इसी दावे का अध्ययन करने के लिए एनजीटी ने कहा है।
अन्य किसी भी जिले में नहीं है भट्ठों पर प्रतिबंध
एनसीआर में यूपी के आठ जिले छोड़ दिए जाएं तो अन्य किसी भी जिले में ईंट-भट्ठों के संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रदेश में 19 हजार से अधिक भट्ठे संचालित हैं। इनमें से दो हजार एनसीआर के भट्ठे यदि हटा दिए जाएं तो अन्य जिलों में करीब 17 हजार से अधिक भट्ठे चल रहे हैं।