BJP ने नागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार की एक रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की है। डॉ. मुखर्जी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा इस कानून के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट ने कानून के मुस्लिम और संविधान के खिलाफ होने की बात को खारिज कर दिया है।
यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का भी समर्थन करती है। शाह ने कहा था कि यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है। कुल 566 मुस्लिमों को मोदी सरकार के पांच साल में पहले ही भारत की नागरिकता मिल चुकी है।
देश के मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं
यह अफवाह है कि नागरिकता कानून अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ है। देश के मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। किसी भी धर्म का कोई भी विदेशी नागरिक भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। यह कानून इन प्रावधानों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
भाजपा ने रिपोर्ट में 15 बड़े सवालों के जवाब दिए
भाजपा ने रिपोर्ट में 15 बड़े सवालों के जवाब दिए हैं। गौरतलब है कि विपक्ष द्वारा कहा गया कि यह कानून अनुच्छेद 14 के विरुद्ध है। भाजपा ने इसे गलत बताते हुए रिपोर्ट में कहा कि अनुच्छेद -14 समानता के अधिकार का मूल है। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी वर्ग के लोगों पर सभी सामान्य कानून लागू हो। यह अनुच्छेद समूहों और श्रेणियों के वर्गीकरण की अनुमति देता है।
नागरिकता कानून दो प्रकार के वर्गीकरण पर आधारित
नागरिकता कानून दो प्रकार के वर्गीकरण पर आधारित है। पहला वर्गीकरण देश (पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान) के आधार पर। दूसरा, लोगों के वर्गीकरण के आधार पर यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, यहूदी और ईसाई बनाम अन्य लोग।
देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को प्रभावित नहीं करेगा
क्या नागरिकता कानून देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को प्रभावित करेगा? इसका जवाब देते हुए पार्टी ने कहा,’ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की धार्मिक पहचान की रक्षा के लिए भारत कोई कदम उठाता है तो यह देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को प्रभावित नहीं करेगा। मुसलमानों की इन देशों में संख्या में कम नहीं है और उन्हें यहां धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता है। , इसलिए, उन्हें इस कानून में शामिल नहीं किया गया है।
आवेदन की तारीख 31 दिसंबर, 2014 क्यों
आवेदन की तारीख 31 दिसंबर, 2014 क्यों है? रिपोर्ट में इसका जवाब देते हुए कहा गया है कि यह कानून की अनुसूची 3 और खंड 6 में शामिल शर्त के कारण है। नागरिकता हासिल करने के लिए भारत में कम से कम पांच साल बिताने जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में शरणार्थी बहुत हैं। अगर वे 1955, 1960, 1970, 1980 या 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए हैं, तो उन्हें उस तारीख से नागरिकता दी जाएगी। उन्हें किसी तरह की कानूनी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे पहले, भारत में अपनी नागरिकता प्राप्त करने के लिए 11 साल तक रहना पड़ता था।
धार्मिक उत्पीड़न कैसे साबित करेगा आवेदक?
एक आवेदक धार्मिक उत्पीड़न कैसे साबित करेगा? रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आवेदन में एक घोषणा के माध्यम से किया जा सकता है। इसके लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा रिपोर्ट में ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर हैं।