झारखंड विधानसभा चुनाव की दिशा-दशा तय करने में कोल्‍हान के दिग्‍गजों ने नहीं छोड़ी कोई कोर-कसर

Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव की दिशा-दशा तय करने में कोल्‍हान के दिग्‍गजों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।  कोल्‍हान की किलेबंदी के साथ ही झारखंड का भविष्‍य तय करने के लिए दिग्‍गजों  ने दूसरे जिलों में भी जमकर पसीना बहाया। मुख्‍यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष लक्ष्‍मण गिलुवा, बागी सरयू राय,आजसू के रामचंद्र सहिस, कांग्रेस के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता गौरव बल्‍लभ  के साथ ही सभी पार्टियों के  बड़े नेताओं ने प्रत्‍याशियों के लिए सभाएं की और मजबूती से प्रचार किया।

मुख्‍यमंत्री रघुवर दास को उनके मंत्रिमंडल के सदस्‍य ही बागी होकर चुनौती देने कूद पड़े थे।लगातार टिकट होल्‍ड पर रखे जाने के बाद सरयू राय ने बगावत की राह पकड़ ली और अपना क्षेत्र जमशेदपुर पश्चिमी छोड़कर रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से मैदान में कूद पड़े। यह स्थिति मुख्‍यमंत्री के लिए असहज करनेवाली जरूर थी। बावजूद इसके उन्‍होंने पूरे सूबे में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाले रखीं और ताबड़तोड़ सभा की। उन्‍होंने सभी 81 सीटों पर सभा के साथ रोड शो भी किया। दूसरे चरण में कोल्‍हान में चुनाव था। रघुवर दास ने जमशेदपुर में रहकर कोल्‍हान के दूसरे क्षेत्रों में प्रचार अभियान में हिस्‍सा लिया।

रघुवर ने खुद के लिए सुबह-शाम निकाला वक्‍त

सुबह- शाम खुद के लिए वक्‍त निकाला। कोल्‍हान में प्रचार थमते ही वे अगले चरण के प्रचार अभियान पर निकल पड़े। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने संतालपरगना पर फोकस किया था और परिणाम भी अपेक्षा के अनुरूप आए थे। झामुमो का दुर्ग ढह गया था और शिबू सोरेन तक को मुंह की खानी पड़ी थी। इसबार कोल्‍हान को फोकस में रखा गया, लेकिन संतालपरगना की भी अनदेखी नहीं की गई। हर हाल में इस इलाके से भी अधिकाधिक सीटें झटकने की रणनीति के तहत रघुवर दास ने पांचवें चरण तक पूरा दम लगाया। यह आलम रहा कि दुमका में भाजपा की प्रत्‍याशी लुईस मरांडी थी, लेकिन लगा कि रघुवर खुद झामुमो के प्रत्‍याशी हेमंत सोरेन के मुकाबिल खड़े हैं। उन्‍होंने यहां चार दिन कैंप किया।

बागी सरयू ने भी लगाया दम 

अपनी किस्‍मत ईवीएम में कैद होने के साथ ही बागी सरयू राय भी निकल पड़े विपक्ष की चुनावी नैया को पार लगाने में मदद करने। सबसे पहले  सरयू ने गोमिया विधानसभा क्षेत्र का रूख किया और वहां से भाजपा के पूर्व विधायक व निर्दलीय उमीदवार माधव लाल सिंह के पक्ष में प्रचार किया। बगावत की राह पकड़ने के साथ ही झामुमो के कार्यकारी अध्‍यक्ष व पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरयू राय के प्रति हमदर्दी जताई थी। जाहिर तौर पर अपनत्‍व पनपा और दुश्‍मन का दुश्‍मन दोस्‍त की तर्ज पर पहुंच गए हेमंत की चुनावी नैया पार लगाने। अव्‍वल तो उन्‍होंने 11 दिसंबर को रांची एयरपोर्ट पर हेमंत से मुलाकात  की और उसके बाद भाया देवघर ‘सच कहना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी है’ की रट लगाते पहुंच गए दुमका।  वहां उन्‍होंने ताबड़तोड़ चार सभाएं की और रोड शो भी किया। उन्‍होंने पूर्व मुख्‍यमंत्री शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के साथ मंच साझा किया। सरयू ने हेमंत के लिए कशीदे पढ़े और कहा कि 2017 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि लोग कहने लगे हैं कि रघुवर सरकार से अच्‍छी हेमंत सरकार थी। उन्‍होंने चार चरणों के मतदान के रूझान के हवाले से भविष्‍यवाणी की कि भाजपा को बमुश्किल 15 से 20 सीटें ही मिलेंगी। सरयू राय ने जरमुंडी में निर्दलीय प्रत्‍याशी सीताराम पाठक के लिए भी सभा की और वोट मांगे।

अर्जुन ने भी छोड़ दिए तरकश के सारे तीर

पूर्व मुख्‍यमंत्री अर्जुन मुंडा को पिछले विधानसभा में अप्रत्‍याशित हार मिली थी। वे अपने गढ़ खरसावां में झामुमो के दशरथ गागराई से मात खा गए थे। बाद में हुए लोकसभा चुनाव में वे खूंटी से जीतकर संसद पहुंच गए और मंत्री का ओहदा भी पा गए। बावजूद इसके खरसावां सीट से उनकी प्रतिष्‍ठा जुड़ी है। ऐसे में उन्‍होंने पत्‍नी मीरा मुंडा के साथ जमकर मेहनत की । खरसावां से भाजपा प्रत्‍याशी को जिताने के लिए वक्‍त निकाला और कील-कांटा दुरूस्‍त किया।  इसके बाद पूरे सूबे में लगातार भाजपा प्रत्‍याशियों के लिए सभाएं की। सूबे की राजनीति में अर्जुन मुंडा अहम चेहरा हैं। यही वजह है कि उनको भुनाने के लिए भाजपा ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री ने अपने साथ मंच साझा कराया और खास तबके को रिझाने की कोशिश की। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष लक्ष्‍मण गिलुवा लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी सिंहभूम सीट गवां बैठे थे। भाजपा ने विस चुनाव में उन्‍हें चक्रधरपुर से प्रत्‍याशी बनाया। अपनी राह आसान करने के लिए मेहनत करने के बाद उन्‍होंने भी दूसरे प्रत्‍याशियों के लिए लगातार मेहनत की।

ये भी रहे जोश में 

भाजपा से नाता टूटने के बाद मंत्री रामंचद्र सहिस  तन्‍हा रहे। उन्‍हें अपनी जुगसलाई सीट  बचाने के लिए जमकर जिद्दोजहद करनी पड़ी। भाजपा उम्‍मीदवार की मौजूदगी के बीच चुनावी नैया पार लगाने की कसरत खत्‍म होते ही सहिस भी निकल पड़े आजसू के दूसरे उम्‍मीदवारों की नैया पार लगाने । पूर्व मंत्री व कांग्रेस के जमशेदपुर पश्चिमी से प्रत्‍याशी बन्‍ना गुप्‍ता, इसी क्षेत्र से भाजपा के देवेंद्र सिंह,चाईबासा के झामुमो प्रत्‍याशी दीपक बिरूआ, कांग्रेस के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता व जमशेदपुर पूर्वी से प्रत्‍याशी प्रोफेसर गौरव बल्‍लभ ने भी खुद से फुर्सत मिलते ही अपने दलों के उम्‍मीदवारों के लिए पुरकश फ‍िल्डिंग की।

 

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