Haryana session हरियाणा में इस साल नहीं होगा विधानसभा का शीतकालीन सत्र…

हरियाणा में इस साल विधानसभा का शीतकालीन सत्र नहीं होगा। इसके उलट बजट सत्र को मार्च के बजाय फरवरी में बुलाने की तैयारी है। वित्त विभाग ने सभी महकमों से बजट अनुमान मांगे हैं। बजट सत्र की खासियत यह होगी कि पहली बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल बजट पेश करेंगे। हालांकि पड़ोसी राज्यों में ऐसा होता रहा है, लेकिन हरियाणा में यह अपनी तरह का पहला मामला होगा जब वित्त मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री मनोहर लाल बजट पेश करेंगे। बजट सत्र लंबा चलेगा जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।

मनोहर सरकार की दूसरी पारी में दो बार विधानसभा का सत्र आयोजित किया जा चुका है। अक्टूबर में नई सरकार बनने के बाद पहले सत्र के दौरान विधायकों की शपथ ग्रहण तथा स्पीकर का चुनाव किया गया। इस सत्र के दौरान सरकार ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। नवंबर मेें ही संविधान दिवस के अवसर पर फिर से विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें डिप्टी स्पीकर के चुनाव के साथ ही कई अहम बिल पास किए गए।

नियमानुसार शीतकालीन सत्र को कम से कम तीन दिन चलाया जाता है। ऐसे में सरकार के सामने विधानसभा में पास करवाने के लिए कोई अहम बिल भी नहीं है। एक ही माह में दो सत्र होने का हवाला देकर विधानसभा सचिवालय शीतकालीन सत्र आयोजित करने से पीछे हट गया है। अलबत्ता मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट सत्र लंबा चल सकता है।

बताया जाता है कि इस बार हरियाणा का बजट तय समय से पहले आ जाएगा। आमतौर पर हरियाणा का बजट सत्र 5 से 20 मार्च तक चलता है, लेकिन इस बार यह सत्र फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में बुलाए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके पीछे तर्क है कि मनोहर सरकार का पहला कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त होने के कारण अनुमान से अधिक खर्चे हो चुके हैं।

विभागों द्वारा 31 मार्च से पहले-पहले नए बजट का सृजन करते हुए पूर्व में किए गए खर्चों की मंजूरी लेना अनिवार्य है। इसके लिए सत्र बुलाना जरूरी है। इसी दौरान वित्त विभाग द्वारा भी आगामी बजट के मद्देनजर सभी विभागों से बजट अनुमान मांग लिए गए हैं। हरियाणा में पिछला बजट एक लाख करोड़ के पार हो गया था। इस बार के बजट में वृद्धि होना भी लाजिमी है। विभागों द्वारा अपने बजट अनुमान भेजे जाने के बाद ही सरकार द्वारा इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

एक लाख 79 हजार 462 करोड़ रुपये का कर्ज

मनोहर सरकार का पिछला बजट एक लाख 32 हजार 166 करोड़ का था। 12 हजार 22 करोड़ के घाटे के बजट में प्रदेश पर कुल कर्ज एक लाख 79 हजार 462 करोड़ रुपये दिखाया गया था।

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