Solar Eclipse 2019 25 दिसंबर की शाम से ही सूतक काल प्रभावी हो जाएगा जोकि 26 दिसंबर तक जारी रहेगी….

साल(2019) खत्म होने जा रहा है और इसके साथ ही दशकों साल बाद एक बड़ा सूर्यग्रहण भी भारत में दस्तक देने वाला है। इस सूर्यग्रहण के दौरान खास परिस्थितियां भी बनती दिख रही हैं। इस 26 दिसंबर को वर्ष 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। आपको यहां पर बता दें कि यह साल का तीसरा सूर्यग्रहण है, लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के रूप में यह साल का पहला ग्रहण होगा। ज्योतिषियों ने बताया कि 26 दिसंबर को लगने वाला ग्रहण 57 साल पहले लगे ग्रहण जैसा प्रभावी होगा। इससे पहले ऐसी स्थिति साल 1962 में बनी थी, जब 7 गह्र एक साथ थे।

बताया जा रहा है कि इस बार लगने वाले सूर्यग्रहण में 6 ग्रह एक साथ हैं। हालांकि इसमें 1 की कमी है। 6 ग्रह हैं- सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु। ज्योतिषियों द्वारा बताया गया कि ये 6 ग्रह मुख्य हैं और इनके एक साथ होने से सूर्यग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक रहने की उम्मीद है। वर्ष के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को भारत समेत नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, चीन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में असर दिखाई देगा। वैज्ञानिकों की मानें तो दक्षिण भारत में यह सबसे बेहतर तरीके से दिखाई देगा।

ग्रहण का समय और सूतक

यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर खत्म होगा। वहीं, अलग अलग शहरों के हिसाब से सूर्य ग्रहण के शुरू और खत्म होने के समय में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। सूतक काल का प्रारंभ 25 दिसंबर से ही हो जायेगा। इस बार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। यानि 25 दिसंबर की शाम से ही सूतक काल प्रभावी हो जाएगा, जोकि 26 दिसंबर तक जारी रहेगी। इस बार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। यानि 25 दिसंबर की शाम से ही सूतक काल प्रभावी हो जाएगा, जोकि 26 दिसंबर तक जारी रहेगी।

सूतक काल का रखें ख्याल

धार्मिक मान्‍यताओं की माने तो, ग्रहण शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए सूतक काल के दौरान खाने पीने की चीजों में तुलसी की पत्तियां डाल कर रखनी चाहिए, जिससे ये दूषित न हो सकें। वहीं, तुलसी के पत्‍तों को भी सूतक काल शुरू होने से पहले ही तोड़ कर रख लें।

ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण से ठीक एक दिन पहले पौष माह में मंगल वृश्चिक में प्रवेश करने वाला है। यह स्थिति बड़े प्राकृतिक आपदा की ओर इशारा कर रही है। इस ज्‍योतिषीय गणना के मुताबिक, ग्रहण के 3 से 15 दिनों के भीतर भूकंप, सुनामी और अत्यधिक बर्फबारी हो सकती है।

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