भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने की टिप्पणियों के साथ कई तरह की राजनीतिक चर्चाओं को दी हवा
Chhattisgarh Politics: भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने की सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर दिए गए बयान से सियासत में बवाल आ गया है। उन्होंने भाजपा की करारी हार पर यहां तक कह दिया कि पाप किया था हमने, अपने ही कर्मों का फल पाया है। फेसबुक के अपने टाइम लाइन पर उन्होंने इन टिप्पणियों के साथ कई तरह की चर्चाओं को हवा दे दी है। चूंकि वे भापजा प्रवक्ता हैं, इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा विधानसभा और नगरीय निकाय चुनाव में मिली हार के बाद अपनी हार की वजहों को स्वीकार कर रही है। उपासने के पोस्ट के नीचे लोगों के कमेंट्स भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं।अपने पोस्ट के संदर्भ में भाजपा प्रवक्ता उपासने का स्पष्टीकरण कुछ अलग ही है।
टीवी चैनल्स को दिए बयान में उन्होंने कहा है कि यह बातें पार्टी के लिए नहीं लिखी गई हैं, बल्कि पार्टी के भीतर मौजूद उन लोगों के लिए लिखी गई हैं, जिनके कारण हार की स्थिति निर्मित हुई है। वे यह भी साफ करते हैं, कि इस पोस्ट के आधार पर पूरी पार्टी को सवालों के घेरे में लाना उचित नहीं है।
सोशल मीडिया पर पोस्ट के वायरल होने और उपासने की टीवी चैनल्स पर सफाई आने के बाद कुछ लोग उनकी मंशा से सहमत हो सकते हैं, लेकिन उस पोस्ट के नीचे आ रहे तमाम कमेंट्स और लोगों के बीच व्याप्त चर्चा इस सवाल पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने का दर्द कहीं इस रूप में तो सामने नहीं आ रहा है ? भाजपा के वरिष्ठ नेता उपासने की मंशा जो भी हो, लेकिन भाजपा अगर अपनी हार की समीक्षा में इन बातों पर भी विचार करती है, तो पार्टी के लिए बुरा तो कुछ भी नहीं।
नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे संतोषजनक नहीं
भारतीय जनता पार्टी के लिए छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे संतोषजनक नहीं है। पार्टी के कई नेता सार्वजनिक रूप से बोलते हुए इस हकीकत को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। प्रदेश में लगातार 15 वर्षों तक सत्तासीन रही भाजपा की इस हार पर बहसबाजी जारी ही है।
बोया बबूल तो आम कहां से होय
इसी बीच भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने सोशल मीडिया में दो बातें लिखी हैं, पहली बात-‘पाप किए थे हमने अपने कर्मों का ही फल पाया” और दूसरी बात है- ‘किसी ने ठीक कहा : बोया बबूल तो आम कहां से होय”, ‘जैसी करनी-वैसी भरनी।”उपासने की इस टिप्पणी से संगठन और सियासी जमीं पर भूकंप आ गया है। ठंड के मौसम में भी पसीने छूटने लगे हैं।