दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से अगले साल से प्रदेशभर में लागू होगी योजना…

 तोतली आवाज में मम्मी-पापा सुनने का एहसास एक माता-पिता ही कर सकते हैं, लेकिन जब उसे कलेजे के टुकड़े के बारे में यह पता चलता है कि वह ताजिंदगी न तो बोल पाएगा और न ही सुन पाएगा। ऐसे में उस माता-पिता पर क्या बीतती होगी? उसके इस दर्द को बयां नहीं किया जा सकता। ऐसे माता-पिता के लिए एक अच्‍छी खबर है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के ऐसे बच्‍चों का दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग न केवल ऑपरेशन कराएगा, बल्कि उनके पूरे इलाज का खर्चा भी वहन करेगा।

पिछले वर्ष राजधानी सहित वाराणसी और कानपुर में 20 बच्‍चों का सफल ऑपरेशन किया गया। नए साल से पूरे प्रदेश में योजना लागू की जाएगी। इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रदेश में लागू करने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। राजधानी में 10, वाराणसी में छह और कानपुर में चार बच्‍चों को ऑपरेशन (कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी) के लिए चुना गया है। अगले साल के लिए सर्वे का कार्य पूरा हो गया है।

आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को मिलेगा लाभ

कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए ऐसे परिवारों का चयन किया जाएगा, जिनकी वार्षिक आय ग्रामीण के लिए 86,460 रुपये और शहरी के लिए 1,12920 रुपये होगी। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी केके वर्मा ने बताया कि पहले चरण में विभाग की ओर से संचालित विद्यालयों में पंजीकृत बच्‍चों का चयन किया गया है। पिछले वर्ष 10 बच्‍चों का ऑपरेशन किया गया। अगले वर्ष के लिए पांच बच्‍चों का ऑपरेशन किया जाएगा।

एक बच्‍चे पर खर्च होंगे छह लाख

कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी कराने के लिए एक ब’चे पर छह लाख रुपये का खर्च आएगा। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से बजट दे दिया गया है। उपनिदेशक अनुपमा मौर्या ने बताया कि राजधानी में 10 ब’चों का ऑपरेशन होगा। एक ब’चे का ऑपरेशन एसजीपीआइ में सफलता पूर्वक किया गया है। शेष ब”ाों के ऑपरेशन की प्रक्रिया चल रही है।

ऐसे मिलेगा लाभ

ऐसे माता-पिता जिनको अपने बच्‍चों का ऑपरेशन कराना हो वे दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से जिले में संचालित मूक बधिर स्कूलों में उनका प्रवेश कराएं। निर्धारित आय प्रमाण पत्र के साथ ऑपरेशन के लिए आवेदन करना पड़ेगा। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी की संस्तुति पर वरीयता सूची के आधार पर ही ऑपरेशन किया जाएगा। पंजीयन के समय बच्‍‍‍‍‍चे की उम्र ढाई साल से सात साल के बीच होनी चाहिए। इस उम्र के बच्‍चों का ही ऑपरेशन सफल होने की संभावना रहती है।

पायलट प्रोजेक्ट पूरा 

दिव्यांगजन सशक्तीकरण के संयुक्त निदेशक अमित कुमार सिंह नेे बताया क‍ि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के शल्य चिकित्सा योजना के तहत प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। 20 बच्‍चों के सफल ऑपरेशन के बाद अगले वित्तीय वर्ष में इसे विस्तार दिया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से पहली बार शुरू की गई इस योजना से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को लाभ मिलेगा। पूरे प्रदेश में योजना लागू हो गई है। अगले वर्ष अधिक से अधिक बच्‍चों का ऑपरेशन कराने का प्रयास किया जाएगा।

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