बड़ा फैसला रक्षा मंत्रालय ने दी 500 करोड़ रुपये की मंजूरी, जुलाई से शुरू हो जाएगा निर्माण कार्य
देश की सबसे बड़ी मध्य कमान का अपना सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अब पहले से और आधुनिक होगा। सेना नए सिरे से मध्य कमान अस्पताल बनाने जा रही है। यह अस्पताल 17 मंजिल का होगा। साथ ही आपात स्थिति में रोगी को आरआर अस्पताल नई दिल्ली ले जाने के लिए यहां एयर एंबुलेंस और हेलीपैड की भी व्यवस्था होगी।
रक्षा मंत्रलय ने इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। जुलाई से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा, जिसे चार साल में पूरा करने का लक्ष्य है। नए अस्पताल से सात राज्यों के सैनिकों, पूर्व सैनिक और उनके परिवार लाभान्वित हो सकेंगे।
इसलिए पड़ी जरूरत
छावनी में मौजूदा मध्य कमान के अस्पताल में आइसीयू, पेट स्कैन, इमरजेंसी, लैब और वार्ड अलग-अलग हैं। अस्पताल की बिल्डिंग भी पुरानी हो चुकी है, जबकि देश में सबसे ज्यादा पूर्व सैनिकों वाले मध्य कमान क्षेत्र से आने वाले रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सेना ने मौजूदा अस्पताल को अपग्रेड करने की योजना बनाई है। मध्य यूपी सब एरिया मुख्यालय को नए अस्पताल का डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी। मुख्यालय से सर्वे कराया जा चुका है। तय हुआ है कि बेस अस्पताल की खाली जमीन पर नया सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनेगा।
बेस अस्पताल भी होगा शिफ्ट
चार साल में नया अस्पताल बनकर तैयार होगा। इसके लिए हर साल करीब 125 करोड़ रुपये जारी होंगे। जिस बेस अस्पताल की जमीन पर नए मध्य कमान अस्पताल का निर्माण होगा, उसे चार साल बाद मध्य कमान अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा।
देश में थल सेना के हैं पांच कमांड अस्पताल
भारतीय थल सेना के पांच कमांड अस्पताल देश में हैं। मध्य कमान का अस्पताल लखनऊ, पूर्वी कमान का कोलकाता, उत्तरी कमान का उधमपुर, पश्चिमी कमान का चांदी मंदिर और दक्षिणी कमान का अस्पताल पुणो में है।
ऐसा होगा नया अस्पताल
- 17 मंजिला भवन में नीचे होंगी
ओपीडी
- पहली मंजिल पर होंगी सभी लैब
- बगल के पांच ब्लॉक में होगी इमरजेंसी की सुविधा। इंटरकनेक्ट रहेंगे ब्लॉक
- दूसरी मंजिल पर आइसीयू
- तीसरी से 17वीं मंजिल तक होंगे जवानों, जेसीओ, सैन्य अधिकारियों व उनके परिवारीजनों के लिए विभागवार वार्ड
इन सात राज्यों को मिलेगा लाभ
मध्य कमान अस्पताल में यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड व उड़ीसा में आने वाली सैन्य यूनिटों, रेजीमेंट के जवानों, जेसीओ व अधिकारियों के साथ पूर्व सैनिकों को बेहतर उपचार मिलेगा।