गोमतीनगर स्थित निजी अस्पताल की घटना कई घंटे चली पुलिस व परिजन में पंचायत…
मां के अंतिम दर्शन तो हो नहीं पाए, अंतिम विदाई का मौका भी नहीं मिला। अमेरिका में रह रहे अलीगंज निवासी शाहिद मिर्जा मां के निधन की सूचना पाकर तत्काल लखनऊ पहुंचे बड़ा झटका मिला। एक अस्पताल की चूक ने उनके दुख को पहाड़ सरीखा ऊंचा कर दिया।
गोमतीनगर सहारा अस्पताल से उनकी मां इशरत मिर्जा का पार्थिव शरीर किसी अन्य को दे दिया गया। उस परिवार ने भी उन्हें अपने परिवार की महिला का पार्थिव देह समझकर हिंदूू रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया था। 11 फरवरी को दिवंगत हुईं अलीगंज सेक्टर जे निवासी इशरत मिर्जा का अंतिम संस्कार करने अमेरिका और कनाडा से गुरुवार को लखनऊ पहुंचे बेटों ने पार्थिव शरीर को अपनी अम्मी का होने से इन्कार कर दिया।
जांच की गई तो पता चला कि पार्थिव शरीर गोमतीनगर विवेक खंड निवासी अर्चना गर्ग का है। उनके पार्थिव शरीर पर अर्चना गर्ग का टैग भी लगा था। दूसरी तरफ अर्चना गर्ग के परिवार वालों ने जिस पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया था, वह इशरत मिर्जा का था। दोपहर में पुलिस के साथ सहारा अस्पताल की टीम 3/214 विवेक खंड में दिवंगत अर्चना गर्ग के आवास पहुंची तो वहां शांति हवन चल रहा था।
अजीबोगरीब स्थिति होने पर शांति हवन बंद कराके परिवार के लोग भी सहारा अस्पताल पहुंचे तो देखा कि फ्रीजर में अर्चना गर्ग का शव रखा है। दोनों पक्षों ने अस्पताल के प्रति नाराजगी जताई। पुलिस भी पहुंच गई। सुबह 11 बजे से शाम सात बजे दोनों परिवार व पुलिस के बीच पंचायत होती रही कि इशरत मिर्जा का अब अंतिम संस्कार कैसे किया जाए। पुलिस बैकुंठधाम भैसाकुंड पहुंची। वहां राख को सुरक्षित रखा दिया। मौलानाओं से राय ली जा रही थी कि राख को शरीयत के हिसाब से कैसे सिपुर्द ए खाक किया जाए।
विभूतिखंड थाना प्रभारी विवेक द्विवेदी का कहना है कि 11 फरवरी को इशरत जहां और अर्चना गर्ग की मौत सुबह नौ बजे हो गई थी। दोनों न्यूरो आइसीयू में भर्ती थी। एक साथ ही पार्थिव शरीर को शव गृह में रखा गया था। गलती से अर्चना के परिवार वाले इशरत का शव ले गए। सहारा हास्पिटल के कार्यवाहक चिकित्सक अब्बास जैदी को फोन किया गया तो उन्होंने एसएमएस भेजने को कहा। एसएमएस भेजकर अस्पताल का पक्ष मांगा गया, लेकिन उत्तर नहीं आया।