…..तो ये है वो दरवाजा जिसे कहते है ‘गेट ऑफ डेथ’, यहां 10 लाख लोगों ने गंवाई थी जान…

अगर आपने इतिहास पढ़ा होगा तो हिटलर के बारें में जरूर जानते होंगे. वहीं हिटलर जो जर्मनी का एक खूंखार तानाशाह था और यहूदियों का कट्टर दुश्मन. कहते हैं कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड में हिटलर की नाजी सेना के बनाए यातना शिविरों में करीब 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिसमें ज्यादातर यहूदी थे. नाजियों का ये यातना शिविर पोलैंड में है, जिसे ‘ऑस्त्विज कैंप’ के नाम से भी जाना जाता है. ऑस्त्विज कैंप के बाहर ही एक बड़ा सा लोहे का दरवाजा है, जिसे ‘गेट ऑफ डेथ’ यानी ‘मौत का दरवाजा’ कहा जाता है. कहते हैं कि बड़ी संख्या में यहूदी लोगों को रेलगाड़ियों में भेड़-बकरियों की तरह लाद कर उसी दरवाजे से यातना शिविरों में ले जाया जाता था और उसके बाद उन्हें ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.

‘ऑस्त्विज कैंप’ एक ऐसी जगह था और उसे इस तरह बनाया गया था कि वहां से भाग पाना भी नामुमकिन था. कहते हैं कि कैंप के अंदर यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों और समलैंगिकों से जबरन काम करवाया जाता था. इसके अलावा बूढ़े और बीमार लोगों को कैंप के अंदर बने गैस चेंबर में डालकर जिंदा जला दिया जाता था. कहते हैं कि ऐसे ही लाखों लोगों को इन गैस चेंबरों में डालकर मार भी दिया गया था.

ऑस्त्विज शिविर के परिसर में ही एक दीवार है जिसे ‘वॉल ऑफ डेथ’ यानी ‘मौत की दीवार’ कहा जाता है. कहते हैं कि यहां अक्सर लोगों को बर्फ के बीच खड़ा कर गोली मार दी जाती थी. नाजियों ने ऐसे हजारों लोगों को मौत के घाट उतारा गया था. साल 1947 में नाजियों के इस यातना शिविर को पोलैंड की संसद ने एक कानून पास कर सरकारी म्यूजियम में बदल दिया. कहते हैं कि म्यूजियम के अंदर करीब दो टन बाल रखे गए हैं. दरअसल, मरने से पहले नाजी यहूदी और अन्य लोगों के बाल काट लेते थे ताकि उनसे कपड़े वगैरह बनाए जा सकें. इसके अलावा कैदियों के लाखों चप्पल-जूते और अन्य सामान भी म्यूजियम में रखे हुए हैं.

Related Articles

Back to top button