आधुनिकता और प्राचीनता के सुंदर तालमेल से बना है पन्ना शहर, जहां है देश की एकमात्र हीरे की खान
पन्ना मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे पिछड़ा जिला माना जाता है, पर इस प्रदेश से परिचित होने के बाद आप इस बात भूलने लगेंगे। आप खुद को एक ऐसी दुनिया में पाएंगे, जो हजारों साल पुरानी प्राचीनता को खुद में समाए है। यह जिला अभी भी अपनी ठेठ बुंदेली संस्कृति को बचाकर रखे हुए है। आम तौर पर पन्ना को लोग हीरे की खदानें और टाइगर रिजर्व के कारण जानते हैं। जबकि आप देखेंगे यह स्थान कुदरती सौंदर्य से ओतप्रोत है। पन्ना और आसपास के क्षेत्र में प्रकृति ने दिल खोलकर अपना खजाना लुटाया है। यहां बहुत सारे प्राकृतिक झरने, कुंड, झीलें और बरसाती नदियां मिलती हैं। यदि आप संस्कृति प्रेमी हैं और स्थापत्य कला में रुचि रखते हैं तो इस लिहाज से भी आपको यहां समृद्धि मिलेगी।
दरअसल, पन्ना शहर में ही बहुत सारे प्राचीन मंदिर हैं, जिसके कारण इसे मंदिरों का शहर भी कहते है। यह शहर ‘बुंदेलखंड केशरी’ के नाम से प्रसिद्ध महाराजा छत्रसाल की राजधानी रहा है। जिस तरह महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब को परेशान कर रखा था, उसी तरह छत्रसाल भी मुगलों से हुई सभी लड़ाइयों में अपराजेय रहे। छत्रसाल की बेटी मस्तानी का प्रेम-प्रसंग पेशवा बाजीराव प्रथम से रहा। इस प्रेम को संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म ‘बाजीराव-मस्तानी’ में भी दिखाया है।
आप भी देख सकते हैं हीरे की खान
क्या आपको मालूम है कि यहां एशिया की सबसे बड़ी हीरे की खुली खदान है? कहीं आप हीरे का रिश्ता केवल गुजरात के सूरत शहर से ही तो नहीं जोड़ रहे? जनाब, सूरत में हीरे की कटाई होती है और यहां मझगंवा क्षेत्र में हीरे की खदान है। इसका संचालन राष्ट्रीय खनन विकास कॉर्पोरेशन (एन एम डी सी) द्वारा किया जाता है। आप एनएमडीसी से परमिशन लेकर इन खदानों की सैर कर सकते हैं। खदान का नाम सुनते ही हमारे जेहन में बड़ा-सा गड्ढा सामने आता है, जबकि पन्ना में हीरे ही 3-4 फुट की उथली खदानें है। दरअसल, पन्ना के आसपास किम्बरलाइट चट्टानें बहुतायत में पाई जाती हैं, जिनमें हीरे पाए जाते हैं। जमीन में जिन जगहों पर किम्बरलाइट के पत्थर च्यादा होते है, वहां लोग जमीन के हिस्से का हीरे उत्खनन का लाइसेंस ले लेते हैं, फिर वहां की मात्र 3-4 फुट की खुदाई कराई जाती है, पत्थरों के बीच हीरा खोजा जाता है। यहां उत्कृष्ट किस्म का हीरा मिलता है।
पुराना कलेक्ट्रेट भवन
महेंद्र भवन के नाम से विख्यात यह इमारत एक समय पन्ना राजघराने का महल थी, जिसे प्रशासनिक भवन बना दिया गया। इसे मध्य प्रदेश का सबसे खूबसूरत कलेक्ट्रेट भवन माना जाता है। अब नई इमारत बनने से इसे खाली कर दिया गया है, भविष्य में इसमे हेरिटेज होटल बनना प्रस्तावित है।
पन्ना टाइगर रिजर्व की सैर
पन्ना में भारत का 22वां बाघ अभयारण्य है और मध्यप्रदेश का पांचवां। यह रिजर्व विंध्य रेंज में स्थित है और यह राच्य के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया था। इसे 1994 में भारत सरकार द्वारा एक परियोजना टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। यहां प्रवेश करने का एहसास अलहदा है। इसे आप यहां जाकर ही महसूस कर पाएंगे। टाइगर रिजर्व में जाहिर है सबकी नजर टाइगर के दीदार पर टिकी होती है। आप भी कुछ इंतजार के बाद इनका दीदार कर सकते हैं। यहां पर दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला भी है, जो स्वयं नि:संतान होने के बावजूद अन्य हाथियों की गर्भावस्था में न केवल सहायता करती है, बल्कि उनके बच्चों का लालन-पालन भी करती है।एक समय यहां से बाघ खत्म हो गए थे। तब 6 नवंबर 2009 को यहां फिर से बाघों को बसाये जाने की चुनौती को पूरा करने का काम शुरू हुआ। आज यहां 54 बाघ हैं। इस राष्ट्रीय पार्क में बाघ के अलावा, तेंदुआ, भालू, हाथी, साम्भर, चीतल, हिरण, बारहसिंघा, जंगली सुअर, भेडि़या, सियार के अलावा सैकड़ों पक्षियों की प्रजाति देख सकते हैं। यहां रेप्टाइल पार्क भी हैं, जहां आप मगरमच्छों के अलावा घडि़याल भी आसानी से केन नदी की रेत पर धूप सेंकते आसानी से देख सकते है।
कैसे और कब जाएं?
पन्ना जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन खजुराहो है। यह शहर से 42 किमी है। खजुराहो ही नजदीकी हवाई अड्डा भी है। सड़क मार्ग से यह शहर छतरपुर, सतना, दमोह, कटनी, चित्रकूट आदि शहरों से जुड़ा हुआ है। गर्मी के मौसम में यहां आने से पर्यटक बचते हैं। सर्दियों का मौसम उपयुक्त माना जाता है यहां की सैर के लिए।