कुमाऊं विश्वविद्यालय छात्र पढ़ाई के लिए कर रहे संघर्ष, छात्र-छात्राए हो रहे परेशान

करीब 2 महीने से जारी लॉकडाउन में तमाम शिक्षम संस्थाओं की तरह कुमाऊं विश्वविद्यालय भी ऑनलाइन पढ़ाई करवाने का दावा कर रहा है लेकिन मगर छात्र मोबाइल पर सिग्नल ही खोज रहे हैं. विश्वविद्यालय के छात्र गांवों से लेकर शहरों तक विश्वविद्यालय की पढ़ाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो इससे बेपरवाह विश्वविद्यालय अब परीक्षा की तैयारी में जुटा हुआ हैं. अब कहीं छात्र-छात्राओं पर तनाव हावी हो रहा है तो पिथौरागढ़ कॉलेज की तरह कई जगह वह बिना तैयारी के परीक्षाएं कराए जाने का विरोध करने लगे हैं.

पढ़ाई एक संघर्ष 

कोरोना से बचने के लिए शहर से गांव पहुंचे विश्वविघायल के छात्रों को खोजकर भी नेटवर्क नहीं मिल रहा है. नेटवर्क से परेशान छात्रों को पढ़ाई की चिंता है तो कुछ को डर लगने लगा है कि इस वजह से वे पिछड़ जाएंगे. ऑनलाइन क्लास के नाम पर वाट्सएप पर किताबों की फोटो खींचकर दी जा रही है जिससे छात्र-छात्राओं को नोट्स तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं.

कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के सिर पर पर अब यह चिंता सवार हो गई है कि परीक्षा में बेहतर अंक कैसे लाएं.

उत्तराखंड में लॉकडाउन 22 मार्च को शुरु हो गया था. छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन क्लास चलाने का निर्णय लिया था लेकिन नेटवर्क न मिलने की वजह से छात्र-छात्राओं के लिए यह पढ़ाई एक संघर्ष ही रहा.

ऑफ़लाइन हुई थी मीटिंग 

अब विश्विद्यालय हवा में हुई पढ़ाई के आधार पर परीक्षा कराने के साथ ही यह तैयारी भी कर रहा है कि विश्वविद्यालय को ए प्लस श्रेणी पर लाया जाए. लेकिन गांव ही नहीं, शहरों के छात्र भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

इंटरनेट की खस्ता हालत की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन भी अपनी बैठक ऑनलाइन नहीं कर सका था और दूर दराज से सभी को बुलाकर यह बैठक नैनीताल में ऑफ़लाइन करनी पड़ी थी. इसलिए नेटवर्क को लेकर छात्रों के सवाल वाजिब लगते हैं. सवाल ये भी पूछ रहे हैं कि कुछ शिक्षक जब मोबाइल ही नहीं रखते और कई को तो ऑनलाइन क्लास, स्मार्ट फ़ोन के फंक्शन ही पता नहीं है, वे पढ़ाएं क्या?

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