क्वारंटाइन सेंटर में जो भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ मुकदमा होगा दर्ज
कोरोना संक्रमण की बढ़ती दर को देखते हुए जिला प्रशासन ने अब बाहर से आने वाले लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन करने की कवायद शुरू कर दी है। तय किया गया है कि दून में सरकारी भवनों, हॉल, होटल व धर्मशालाओं में क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाएंगे। इसके लिए सभी उपजिलाधिकारियों को क्वारंटाइन सेंटर बनाने के लिए भवनों को चिहि्नत करने के लिए कहा गया है।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने इस संबंध में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने हुए कहा कि जो भी लोग बाहर से आ रहे हैं और स्वास्थ्य परीक्षण में उनमें किसी भी तरह के संदिग्ध लक्षण दिख रहे हैं या वे रेड जोन से आ रहे हैं तो उनके सैंपल लेकर संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाए। इसके लिए अतिरिक्त क्वारंटाइन सेंटर की भी जरूरत पड़ेगी। संबंधित उपजिलाधिकारी जिस भी भवन को क्वारंटाइन सेंटर के रूप में चिहि्नत कर रहे हैं, उनमें सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाएं।
सबसे पहले संबंधित सेंटर को सेनिटाइज किया जाए और फिर कार्मिकों की तैनाती कर पर्याप्त सुरक्षा व चिकित्सा उपकरण मुहैया कराए जाएं। सभी सेंटर में व्यवस्था इस तरह की जाए कि शारीरिक दूरी का नियम न टूटे। इसके अलावा सेंटरों में पेयजल, पर्याप्त मात्रा में भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित कराने को भी कहा गया है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण शर्मा, एसपी सिटी श्वेता चौबे आदि उपस्थित रहे।
उल्लंघन करने वालों पर करें मुकदमा
जिलाधिकारी ने एसपी सिटी श्वेता चौबे को निर्देश दिए कि क्वारंटाइन सेंटर में जो भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करे, उसके खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए।
2200 बेड का किया जाएगा इंतजाम
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय दून में 20 संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर पहले से अस्तित्व में हैं। इनमें अभी करीब 2200 बेड की क्षमता है। अब इतने ही अतिरिक्त बेड का इंतजाम किया जा रहा है। ताकि बाहर से आने वाले लोगों व किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को क्वारंटाइन करने में किसी तरह की अड़चन न हो।
रिपोर्ट आने के बाद छोड़ा जाएगा
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि जो भी लोग बाहर से आ रहे हैं, उनकी सीमा पर रैंडिंम सैंपलिंग की संख्या बढ़ाई जाए। इसके साथ-साथ संबंधित लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाए। जब उनकी रिपोर्ट निगेटिव आए, तभी संबंधित लोगों को होम क्वारंटाइन के लिए आगे भेजा जाए।