हरियाणा में शराब घोटाले पर गठबंधन सरकार में जारी है तनातनी

हरियाणा में शराब घोटाले पर गठबंधन सरकार में खींचतान के हालात पैदा होता दिख रहा है। घोटाले की जांच को लेकर गृह मंत्री अनिल विज और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला में टकराव के हालात हैं। दोनों के बीच भीतर ही भीतर शीतयुद्ध चल रहा है, लेकिन कोई एक दूसरे विरुद्ध खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। विज और दुष्यंत के बीच टकराव की वजह लॉकडाउन के दौरान अवैध रूप से बिकी शराब है। अवैध रूप से पकड़ी गई शराब पुलिस के मालखाने में ही रखी जाती है। दुष्यंत की दलील है कि पुलिस की पहरेबंदी में शराब कैसे गायब हो गई, जबकि विज का कहना है कि लॉकडाउन में पुलिस व आबकारी विभाग की मिलीभगत के बिना कोई घोटाला नहीं हो सकता।

मालखाने से गायब हुई शराब को आधार बना रहे दुष्यंत समर्थक

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला व गृह मंत्री अनिल विज स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाने की जानकारी को लेकर भी एक दूसरे पर अविश्वास जता चुके हैं। विज का कहना है कि इस बारे में दुष्यंत ने मुझसे कोई बात नहीं की, लेकिन दुष्यंत का कहना है कि उन्होंने दो बार बात की। दुष्यंत की इस दलील के बाद विज को आखिर में कहना पड़ा कि हो सकता है कि दुष्यंत ने बात की हो, लेकिन मुझे सुनाई न पड़ी हो। उनकी इस बात में कई सवाल और उसके जवाब छिपे हैं। इसके बावजूद लाख कुरेदने पर विज कहते हैं कि वे नहीं चाहते कि इस पूरे मामले को गृह विभाग और आबकारी विभाग की आपसी लड़ाई बना दिया जाए।

लॉकडाउन में कैसे बिकी अवैध शराब, इस पर विज कर रहे घेराबंदी

बता दें कि जब तक भाजपा व जजपा का गठबंधन नहीं हुआ था, तब भी विज और दुष्यंत चौटाला ने अस्पतालों में दवाइयों की कमी के मुद्दे पर टकराव हो चुका है। टकराव भी इतना बढ़ गया था कि दुष्यंत कोर्ट तक चले गए थे, लेकिन बाद में बात आई-गई हो गई। इस विवाद में न तो विज झुकने को तैयार थे और न ही दुष्यंत ने कदम पीछे हटाए थे। अब दूध का दूध और पानी का पानी अलग करने की जिम्मेदारी सीनियर आइएएस अधिकारी टीसी गुप्ता के नेतृत्व वाली एसईटी की रिपोर्ट पर टिकी है। इस कमेटी को शराब घोटाले में शामिल सभी सफेदपोश, अधिकारियों, माफिया और ठेकेदारों के नाम उजागर करने के संकेत दिए गए हैं।

गृह मंत्री अनिल विज एसईटी को एसआइटी के समान पावर दिला चुके हैं, लेकिन एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि सीआरपीसी की धारा 32 में एसईटी को शक्तियां देने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए जांच आयोग कानून 1952 की धारा 11 में सशक्त किया जाना चाहिए।

इसके जवाब में अनिल विज का कहना है कि जब सीआरपीसी की धारा 32 की शक्तियां किसी कमेटी या अधिकारी को दी जाती हैं तो वह उनका इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह से अधिकृत है। एसईटी पर राजनीतिक दबाव की अटकलों के बीच विज का कहना है कि रिपोर्ट निष्पक्ष रहेगी।

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