पीएम कोरोना रिलीफ फंड में जमा रकम का प्रयोग कर्ज चुकाने में करेगी पाकिस्तान की इमरान सरकार
पाकिस्तान में बढ़ते कोरोना के मामलों और इससे लड़ने के लिए पीएम इमरान खान लगातार देश में रहने वाले और विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों से ज्यादा दा से ज्यादा पीएम केयर रिलीफ फंड में पैसा देने की अपील कर रहे हैं। लेकिन अफसोस की बात ये है कि जिसके लिए ये फंड इकट्ठा किया जा रहा है इसका इस्तेमाल उसके लिए न होकर सरकार इसका इस्तेमाल अपना कर्ज उतारने के लिए कर रही है। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के डिजिटल एडिशन की एक खबर के मुताबिक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बने पीएम कोरोना रिलीफ फंड में जमा रकम में से दस अरब रुपये का इस्तेमाला देश के ऊर्जा क्षेत्र पर चढ़े कर्ज के ब्याज को चुकाने के लिए किया जाएगा।
इस अखबार की एक खबर के मुताबिक 13 मई तक इस रिलीफ फंड में 3.5 बिलियन की धनराशि जमा हो चुकी है। रेडियो पाकिस्तान के हवाले से इस खबर में कहा गया है कि इसमें हर क्षेत्र के लोगों ने योगदान दिया है। इसमें उम्मीद जताई गई थी कि पीएम इमरान खान जल्द ही इसका बंटवारा कोरोना वायरस से शुरू की गई जंग के लिए करेंगे। लेकिन हुआ कुछ और ही। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया है इसमें से कुछ रकम कर्ज की ब्याज की राशि चुकाने के लिए इस्तेमाल की जाए। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के वित्तीय मामलों के सलाहकार अब्दुल हफीज शेख ने की थी।
बैठक के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, समिति ने प्रधानमंत्री कोरोना रिलीफ फंड से पाकिस्तान सरकार की गारंटीशुदा 200 अरब रुपए की सिक्योरिटी ‘पाकिस्तान एनर्जी ‘सुकूक-2’ के कर्ज की ब्याज की अदायगी लिए तात्कालिक रूप से 10 अरब रुपए देने का फैसला किया। यह अस्थायी व्यवस्था छह महीने के लिए होगी। अगर इस बीच, ऊर्जा नियामक प्राधिकरण कानून में बदलाव हो गया, तो इस ब्याज का बोझ उपभोक्ता पर जा सकता है, अन्यथा यह अदायगी कोरोना रिलीफ फंड से होगी। अफसोस की बात ये है कि इमरान खान ने कोरोना के नाम पर अपने हाथ खाली दिखाते हुए लोगों से जो अपील की थी अब वही लोग इस फैसले से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पीएम लगातार इस बात का जिक्र कर रहे थे कि देश की आर्थिक हालत बेहद खराब है। इसी वजह से उन्होंने लॉकडाउन नहीं किया था। उन्होंने कई मर्तबा देशवासियों से फंड में अधिक से अधिक धन देने की अपील की थी। उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि लोग इस फंड में जो एक रुपया डालेंगे, सरकार उसके बदले में इसमें चार रुपए अपनी तरफ से डालेगी। लेकिन अब जबकि ये साफ हो गया है कि इस फंड का इस्तेमाल ऐसी जगहों पर हो सकता है जिसको कोरोना से शुरू हुई लड़ाई से कोई लेना देना ही नहीं है तो पाकिस्तान की जनता ऊपर वाले के भरोसे अधिक लग रही है।